उद्दीपन परिवर्तन कौशल - Stimulus Modification Skill
अध्यापक अपने कक्षा को सजीव बनाये रखने के लिए प्रयास करता है। शिक्षण को प्रभावकारी बनाये रखने के लिए अध्यापक प्रश्न पूछता है, दृष्टांत देता है, व्याख्यान देता है तथा पुनर्बलन प्रदान करके उत्साहवर्द्धन करता है। इसके साथ-साथ अध्यापक छात्रों का ध्यान केन्द्रित करने के लिए उद्दीपनों के विभिन्न स्वरूप को उनके समक्ष रखता है जिससे अनुक्रिया पूरे उद्दीपन से जोडी जा सके।
अतः ध्यान एक चयनात्मक मानसिक प्रक्रिया है, जिसके लिए अध्यापक को उद्दीपक परिवर्तन का प्रयास करना चाहिए। अध्यापक द्वारा उद्दीपन के प्रति विद्यार्थियों में आन्तरिक अभिप्रेरणा और विषयवस्तु के प्रति आकर्षण उत्पन्न करना चाहिए। अध्यापक की भाषा, स्वर, भावभंगिमा तथा व्यक्त करने का ढंग प्रभावशाली होना चाहिए। शिक्षक द्वारा उद्दीपन परिवर्तन करने में निपुणता का प्रयोग किया जाना चाहिए जो इसका कौशल कहलाता है।
मनोवैज्ञानिक शोधों से स्पष्ट है कि ध्यान का केन्द्रीकरण एक निश्चित बिन्दु पर अधिक समय तक नहीं रह सकता। उद्दीपन के साथ ध्यान का परिवर्तन भी तीव्र गति से होता है इसलिए अध्यापक को छात्रों का ध्यान किसी बिन्दु पर नियंत्रित करने के लिए इन्द्रिय उद्दीपनों का स्तर बदलते रहना चाहिए, जैसे-
(1) ध्वनि की तीव्रता में उतार-चढ़ाव होना चाहिए।
(2) वस्तु की अवस्था में परिवर्तन होते रहना चाहिए।
(3) वस्तुओं की प्रकृति (गति की स्थिरता) के अनुसार उद्दीपन परिवर्तन होना चाहिए।
(4) शिक्षक का व्यवहार इस प्रकार का होना चाहिए कि छात्रों में क्रियाशीलता बनी रहे।