सामाजिक अध्ययन शिक्षण में शैक्षिक यात्राओं को कैसे संगठित करेंगे?

सामाजिक अध्ययन शिक्षण में शैक्षिक यात्राओं को कैसे संगठित करेंगे?

पर्यटन की योजना (Tourism planning)


पर्यटन की तैयारी - शैक्षिक पर्यटन सामान्य पर्यटकों से पूर्णतः भिन्न होता है। यह मनोरंजनात्मक होने की अपेक्षा ज्ञानात्मक अधिक होता है। ऐतिहासिक पर्यटन से अभिप्राय छात्रों को विविध ऐतिहासिक सामग्री से परिचित कराकर इतिहास के प्रति वास्तविक दृष्टिकोण विकसित करने से होता है। पर्यटन पर जाने के पूर्व इससे सम्बन्धित विस्तृत तैयारी कर लेनी चाहिए, इससे छात्र पर्यटन के उद्देश्य एवं अभिप्राय से भली-भाँति परिचित हो जायेंगे तथा अपरिचित वातावरण में मार्ग अनुशीलन करने में स्वयं समर्थ हो सकेंगे। अस्तु, पर्यटन को सफल बनाने के लिए निम्न तथ्यों को ध्यान में रखना अत्यन्त आवश्यक है-

 

(1) सामान्य ज्ञान सम्बंधित तथ्य


(i) पर्यटन क्रम में छात्रों को विभिन्न समूहों में विभक्त कर देना चाहिए। प्रत्येक समूह का एक नायक होना आवश्यक है जो अपने समूह के प्रत्येक कार्य का उत्तरदायी होगा। यही प्रक्रिया निरीक्षण स्थल पर भी अपनाई जानी चाहिए अर्थात् वहाँ भी सुविधानुसार निरीक्षण कार्य के लिए छात्रों को विभिन्न वर्गों में विभाजित कर देना चाहिए।


(ii) मार्ग में रात्रि के समय विश्राम करने से पूर्व अध्यापक छात्रों को निरीक्षित वस्तुओं के सम्बस में पारस्परिक विचार-विमर्श के लिए प्रोत्साहित करें। ऐसा करने से छात्रों द्वारा प्राप्त किया हुआ जान पुनः नवीन हो जायेगा।


(iii) पर्यटन पर जाने वाले छात्रों को नवीन बातों को सीखने एवं समझने का सुअवसर प्रदान करने के लिए ज्ञानवर्द्धक मार्ग का चयन करना चाहिए।


(iv) पर्यटन कार्यक्रम के समाप्त होने पर अध्यापक को लौटाने के लिए दूसरे मार्ग का अनुसरण करना चाहिए। ऐसा करने से छात्रों को पुनः नवीन बातों की जानकारी हो जाएगी।


(2) विषय ज्ञानसंबंधी


(i) यदि छात्र काल विशेष का स्थापत्य कला, मूर्तिकला एवं चित्रकला आदि का अध्ययन करने जा रहे हों, तो उन्हें काल विशेष की मूलभूत विशेषताओं से अवश्य परिचित होना चाहिए, इससे उन्हें प्रत्येक वस्तु का ज्ञान सरलता से हो जायेगा।


(ii) पर्यटन स्थल पर देखो हुई वस्तुओं को लेखबद्ध करने के लिए छात्रों के पास भिन्न-भिन शीर्षकों से युक्त लघु पुस्तिकायें होनी चाहिए। छात्र इन्हीं शीर्षकों के अन्तर्गत अपने विविध अनुभवी को अंकित करेंगे।


(iii) यदि छात्र पूर्ण ऐतिहासिक भग्नावशेषों का प्रत्यक्षीकरण करने जा रहे हैं, तो उन्हें इनके पुनर्निर्माण सम्बन्धी ऐसे संकेतों से परिचित होना चाहिए कि वे भग्नावशेषों को देखते हुए ही उनके मूल स्वरूप का अनुमान कर सकें। ऐसा करने से उन्हें ऐतिहासिक पर्यटन के सम्बन्ध में निराशा नहीं होगी।


(iv) छात्रों को पर्यटन स्थल के सम्बन्ध में आधारभूत सूचनायें अवश्य मालूम होनी चाहिए। यदि वह भवन है तो उन्हें उसकी आद्योपान्त क्रमिक कहानी का ज्ञान अवश्य होना चाहिए। यदि वह संग्रहालय है तो उन्हें उसके उद्भव एवं उसमें संग्रहीत वस्तुओं के मूल स्रोतों की जानकारी होनी चाहिए तथा वह मन्दिर, विहार या मठ है, तो उन्हें इसके द्वारा जनसमुदाय के लिए किये गये योगदानों को जानना चाहिए।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top