अधिगम स्थानांतरण के सिद्धांत - Principles of Transfer of Learning
अधिगम स्थानान्तरण के सन्दर्भ में निम्नलिखित सिद्धान्तों का उल्लेख मिलता है-
1. औपचारिक अनुशासन का सिद्धान्त
शिक्षाशास्त्रियों की विचारधारा काफी वर्षों तक यह थी कि मनुष्य का मस्तिष्क विभिन्न संकायों का स्वरूप है। इनमें स्मृति, विश्लेषण, निर्णय, इच्छा, कल्पना तथा तर्क आदि माने जाते हैं। इस विचारधारा के मानने वालों का मत था कि जिस प्रकार व्यायाम से शरीर की मांसपेशियाँ पुष्टि होती हैं उसी प्रकार प्रशिक्षण से मानसिक शक्तियाँ भी विकसित हो जाती हैं।
उदाहरणार्थ गणित के ज्ञान के व्यवसाय में तथा कविता के ज्ञान से व्यवसाय के विभिन्न रूपों के समझने में सहायता मिलती है। स्वयं तर्कना से समस्या समाधान में सहायता मिलती है। वुडवर्थ तथा विलियम जेम्स ने इसकी आलोचना की।
Principles of Transfer of Learning
2. समान अंशों का सिद्धान्त
इसके प्रतिपादक थार्नडाइक महोदय ने बताया कि एक विषय के संस्कार उसी अनुपात में दूसरे विषय में स्थानान्तरित होते हैं जिस अनुपात में दोनों समानता पायी जाती है। विद्यार्थियों को ऐसे विषयों का ज्ञान कराया जाना चाहिए विज्ञान से जीवन के समान क्षेत्रों में स्थानान्तरण हो सके।
स्पीयरमेन ने भी द्वि तत्व सिद्धान्त का प्रतिपादन करके यह बताय कि सामान्य बौद्ध हर सुख में एक सी होती है जिसका उपयोग सामान्य क्रियाओं में होता है। सामान्य वृद्धि ही थानान्तरणका आधार है। विशिष्ट बुद्धि का जो मनुष्यों में भिन्न होती है उसका उपयोग हर सुष्य अपने ढंग से करता है। सामान्य विषयों जैसे भुगोल, इतिहास, गणित तथा साहित्य दि में भी किसी का स्थानान्तरण करने में उसकी मात्रा कम या अधिक होगी।
(3) सामान्य अनुभव का सिद्धान्त
चार्ल्स जुड इस सिद्धान्त के जन्मदाता हैं। इसे सिद्धान्त द्वारा स्थानान्तरण" कहा जाता है। जिन सिद्धान्तों को व्यक्ति अपने अनुभवों द्वारा जोख लेता है, उनका जीवन परिस्थितियों में स्थानान्तरण होता है। जिन सिद्धान्तों को राइट बदर्श ने पतंग उड़ाने में सीखा था इन्ही के आधार पर जहाज बनाने में सहायता प्राप्त की।