गति प्रत्यक्षीकरण - Motion Perception
व्यक्ति के परिवेश में स्थिर वस्तुओं के अतिरिक्त गतिशील वस्तुयें भी उपस्थित रहती हैं। इन गतिशील वस्तुओं एवं विविध प्रकार की गतियों का प्रत्यक्षीकरण महत्वपूर्ण हैं। गति का अनुभव स्थिर तथा गतिशील दोनों ही प्रकार के उद्दीपकों द्वारा होती है। जब गति व अनुभव किसी विस्थापिक उद्दीपत से होता है तब उसे वास्तविक गति कहते हैं। इसके विपरीत जब किसी स्थिर उद्दीपक से गति की अनुभूति होती है तो उसे आभासी गति कहते हैं।
भौतिक गति या वास्तविक गति- भौतिक गति का तात्पर्य किसी उद्दीपक का एक स्थिति से दूसरी स्थिति में विस्थापन है। यह विस्थापन निश्चित वेग से होता है। उद्दीपक के विस्थापन के लिए दूरी तथा समय का होना आवश्यक है। सभी गतिशील वस्तुओं से गति का अनुभव नहीं होता। एक निश्चित वेग के बाद ही गति का अनुभव होता है।
आभासी गति-वर्दाइमर ने यह प्रदर्शित किया कि यदि बिन्द या रेखा जैसे सामान्य उद्दीपक भी विभिन्न स्थितियों में अत्यन्त कम समय अन्तराल के बाद प्रदर्शित किये जायें तो निरीक्षक को इन स्थिर उद्दीपकों में भी गति का अनुभव होता है। इस अन्वेषण से मनोविज्ञान में भी गेस्टाल्ट सम्प्रदाय का प्रारम्भ हुआ। इसे आभासी गति कहा जाता है।
यदि दो भिन्न प्रकाश के उद्दीपक 20 मि. से. तक के अन्तराल पर उपस्थित किये जाये तो प्रेक्षक को दोनों प्रकाशों का अनुभव एक ही साथ होता है। इस अन्तर को 200 मि.से कर देने पर क्रमिक उद्दीपन का अनुभव होता है। किन्तु समय अन्तराल की मात्रा 60 मि. से कर देने पर आभासी गति का अनुभव हं ता है और अधिकतम गति की अनुभूति होती है।