प्रत्यक्षीकरण की विशेषताएं - Characteristics of Perception

प्रत्यक्षीकरण की विशेषताएं - Characteristics of Perception

1. परिधीय सांवेदिक उद्दीपको का संगठन


प्रत्यक्षीकरण परिधीय सांवेदिक उद्दीपको का  ऐसा सरचित संगठन है जिसमें हम वस्तु को उसके रूप में देखते हैं।


2. पूर्णयता और सम्पूर्ण या बिल्कुल नहीं व्यवहार -

प्रत्यक्षीकरण यात्रियता क होता है। अलग-अलग दृष्टियों पर बने बिन्दुओं को मिलाकर वर्ग या त्रिभुज या चतुर्भुज का अब प्रत्यक्षीकरण हम करते हैं तो उन बिन्दुओं का एकीकृत पूर्णरूप हमें दिखाई देता रहता है।


3. स्थैर्य-

प्रत्यक्षीकरण अपेक्षाकृत स्थिर होता है। स्थिरता से हमारा तात्पर्य प्रत्यक्षीकरण की एकरूपता से है। उद्दीपक का अनुभव जब हमें होता है तो वह स्थिर 'भी रहता है चाहे दो किसी भी ढंग से क्यों न प्रस्तुत किया जाय।


4. कमान्तरिकता-

प्रत्यक्षीकरण में अलग-अलग बिन्दुओं पर उद्दीपकों का अधिग्रहण होता है। उसके उद्दीपन का क्रम भी परिवर्तन हो सकता है और इस क्रमान्तरण के कारण रेटिना के विभिन्न अंग उद्दीप्त हो सकते हैं किन्तु इस क्रमान्तरण के कारण प्रत्यक्षीकरण पूर्ण तरह अप्रभावित रहता है और हमें पूर्ववत् वैसा ही प्रत्यक्षीकरण होता रहता है।


5. चयनात्मकता -

प्रत्यक्षीकरण चयनात्मक होता है। हम जिस उद्दीपक को देखना चाहते हैं मात्र उसे ही देखते है अन्य किसी को नहीं। किसी मेले में भारी भीड़-भाड़ के बीच अपने किसी परिचित को ढूँढ़ते समय हमें जितने भी व्यक्ति दिखाई देते हैं। उनके हम मात्र उसी रूप में देखते हैं कि वे लोग वह व्यक्ति नहीं हैं जिसे हम ढूंढ रहे हैं।


6. लोचनशीलता या परिवर्तनशीलता परिवर्तनशीलता

प्रत्यक्षीकरण की प्रधान विशेषता है। प्रत्यक्षीकरण कभी-कभी विभिन्न उद्दीपक संगठनों के अनुसार परिवर्तित हो सकता है।

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