दीर्घकालीन स्मृति - Long Term Memory
दुलविंग ने दीर्घकालिक स्मृति के मुख्यतः दो प्रकार बताये हैं, जिनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है। पहले प्रकार की स्मृति वृत्तात्मक स्मृति है। वृत्तात्मक स्मृति में घटनाओं एवं क् का विवरण समय या स्थान के आधार पर भण्डारित होता है। दूसरे प्रकार की स्मृति शब्दार्थ विषयक स्मृति है।
इस प्रकार की स्मृति में भाषा सम्बन्धी भण्डार होता है। भाषा सम्थनी भण्डार में शब्दों, उनके अर्थ, पारस्परिक सम्बन्ध तथा सम्बन्धित नियमों आदि का द्वार संचित होता है। टुलविंग ने अपने अध्ययनों के आधार पर स्पष्ट किया कि यह दो प्रकार की स्मृतियाँ एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित होती हैं और एक-दूसरे के पूरक के रूप में भी कार्यरत् रहती हैं। फिर भी इन दोनों प्रकार की स्मृतियों में निम्न प्रकार से अन्तर होता है
(1) शब्दार्थ विषयक स्मृति और वृत्तात्मक स्मृति संरचना की दृष्टि से अलग अलग होती हैं। शब्दार्थ विषयक स्मृति में शब्दों और प्रतीकों से सम्वन्धित ज्ञान भण्डारित होता है, जबकि वृत्तात्मक स्मृति में किसी अनुभव विशेष से सम्बन्धित घटनायें आदि भण्डारित होती है। यह अनुभव देशकाल और समय से जुड़े हुए होते हैं।
(2) शब्दार्थ विषयक स्मृति और वृत्तात्मक स्मृति में विस्मरण के स्वरूप के आधार पर भी अन्तर है। इस दिशा में हुए अध्ययनों से स्पष्ट हुआ है कि शब्दार्थ विषयक स्मृति की अपेक्षा वृत्तात्मक स्मृति का विस्मरण अपेक्षाकृत तीव्र गति से होता है।
(3) शब्दार्थ विषयक स्मृति से सम्बन्धित सुने और पढ़े गये शब्दों का प्रत्याह्वान अपेक्षाकृत शीघ्रता से होता है जबकि दूसरी ओर वृत्तात्मक स्मृति मे प्रत्याह्वान अपेक्षाकृत कम दक्षतापूर्ण ढंग से होता है।
(4) शब्दार्थ विषयक स्मृति और वृत्तात्मक स्मृति यद्यपि एक-दूसरे से उपरोक्त बिन्दुओं की दृष्टि से भिन्न है फिर भी इन दोनों प्रकार की स्मृतियों में अन्तः क्रिया होती है। एलिजाबंध और उनके साथियों ने अपने प्रयोगों के आधार पर स्पष्ट किया कि यह दोनों प्रकार की स्मृतियाँ एक-दूसरे को प्रभावित करती हैं।
अल्प तथा दीर्घकालिक - स्मृति में अन्तर
पहले बैताया जा चुका है कि STM तथा LTM में अन्तर होता है। दो प्रकार की स्मृतियों में अन्तर को अनेक मनोवैज्ञानिकों ने स्वीकार किया है।
एडम्स ने उपर्युक्त स्मृतियों में निम्न तीन प्रमुख अन्तर इस प्रकार बताया है:-
(1) स्मृति की संचय क्षमता में अन्तर STM तथा LTM के उपर्युक्त विवरणों से स्पष्ट है कि इन दो प्रकार की स्मृतियों की संचय क्षमता भिन्न-भिन्न होती है। STM जे संचय श्रयता कम तथा LTM की संचय क्षमता अधिक होती है। STM का विस्तार कम तथा 1.TM का विस्तार अधिक होता है। मिलर के अनुसार STM का विस्तार 7+2 होता है। मिनर के अतिरिक्त इस विस्तार का अध्ययन अन्य मनोवैज्ञानिकों ने किया है। दूसरी ओर LTM में व्यक्ति बहुत अधिक उत्तेजनाओं को वर्षों तक याद रख सकता है।
(2) व्यतिकरण- कुछ मनोवैज्ञानिकों ने अपने प्रयोगात्मक अध्ययनों के आधार पर यह सिद्धि किया कि STM में ध्वनि सम्बन्धीं समानता व्यतिकरण उत्पन्न करती है जबकि दूसरी और LTM में शब्दों की समानता व्यतिकरण उत्पन्न करती है। स्पष्ट है कि यद्यपि व्यतिकरण के कारण स्मृति का हास दोनों प्रकार की स्मृतियों में होता है। परन्तु दोनों प्रकार की स्मृतियों में व्यतिकरण की प्रकृति अवस्थाएँ भिन्न-भिन्न हैं।
(3) स्नायुविक अन्तर- जोन्स ने स्नायुविक अध्ययनों की अपनी समीक्षा के आधार पर बाताया कि दो प्रकार की स्मृतियों में अन्तर बैध है। हेब के अनुसार दो प्रकार की स्मृतियों में हो अलग-अलग प्रकार की दैहिक प्रक्रियाएँ होती हैं। मस्तिष्क के हिप्पोकैम्पस भाग में शल्य विकित्सा सम्बन्धी अध्ययनों से पता चला है कि इस प्रकार की शल्प चिकित्सा में LTM की समता नष्ट हो जाती है तथा STM अभ्यास के बाद LTM में परिवर्तन नहीं होती है।