सामाजिक अध्ययन तथा सामाजिक विज्ञान में अंतर - Difference between social studies and social science

सामाजिक अध्ययन तथा सामाजिक विज्ञान में अंतर - Difference between social studies and social science

प्रायः सामाजिक विज्ञानों तथा सामाजिक अध्ययन का अर्थ एक ही समझ लिया जाता है किन्तु इन दोनों में काफी अन्तर है। इसमें कोई सन्देह नहीं कि सामाजिक विज्ञान भी मानवीय सम्बन्धों की चर्चा करते हैं, किन्तु इनका सम्बन्ध अनुसन्धान खोज तथा नये प्रयोगों तक ही सीमित है। अतः प्रौड़ लोग ही इन्हें भली प्रकार समझ सकते हैं।


उनमें मानव सम्बन्धों की विस्तृत, क्रमबद्ध तथा तर्कसंगत चर्चा होती है। इनमें एक विशेष स्तर की विद्वत्ता भी रहती है और इसलिए उन्हें विद्यालय के बालक आसानी से नहीं समझ सकते। इसके अतिरिक्त सामाजिक विज्ञान जहाँ ज्ञान के भण्डार होते हैं वहाँ सामाजिक अनुसन्धान के वैज्ञानिक साधन भी। सामाजिक विज्ञान सदा ही अपनी खोजों से मानव के ज्ञान में वृद्धि करना चाहता है।


सामाजिक विज्ञान के विपरीत सामाजिक अध्ययन की सामग्री का चुनाव प्रमुख रूप से स्कूलों में पढ़ने के लिए किया जाता है। अतः इस सामग्री में सामाजिक विज्ञानों के केवल वे भाग ही सम्मिलित होते हैं जो विद्यालय के बालकों के लिए उपयोगी हों।


इस प्रकार हम कह सकते हैं कि सामाजिक अध्ययन सामाजिक विज्ञानों का ही सरल एवं पुनर्गठित रूप है। यह मानव सम्बन्धों का विवेचन् प्रौढ़ स्तर पर नहीं, अपितु बाल स्तर पर करता है। इस प्रकार दोनों में स्तर की भिन्नता है।


यह भी आवश्यक है कि सामाजिक विज्ञान को अपेक्षा, सामाजिक अध्ययन सरल, रोचक, प्रभावोत्पादक व उपयोगी हो। दोनों का अन्तर सैद्धान्तिक वा दार्शनिक नहीं है। यह अन्तर तो केवल प्रयोगात्मक है। जहाँ सामाजिक विज्ञान में मानव सम्बन्धों का सैद्धान्तिक वर्णन होता है वहां सामाजिक अध्ययन उसका क्रियात्मक रूप है। यह अन्तर राजनीति विज्ञान और नागरिकशास्त्र के रूप में आसानी से देखा जा सकता है जबकि राजनीति विज्ञान एक उच्च कोटि का विद्वत्तापूर्ण विषय है, जिसका स्नातक स्तर पर कॉलेजों में गूढ़ अध्ययन कराया जाता है, वहां नागरिकशास्त्र उसी का सरल रूप है, जिसे विद्यालयों में दसवीं कक्षा तक पढ़ाया जाता है।


दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत वे विषय आते हैं जो मानव समाज के प्रारम्भ, संगठन तथा विकास से सम्बन्ध रखते हैं और खासतौर पर जिनमें मानव के दूसरे लोगों के साथ सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। इसके विपरीत सामाजिक अध्ययन के अन्तर्गत ऐसे अनुभव आते हैं जिन्हें सामाजिक विज्ञानों से ही विद्यालय के छात्रों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए निकाला हुआ कहा जाता है।


इस प्रकार सामाजिक अध्ययन और सामाजिक विज्ञान अपनी विषय- सामग्री के कारण अधिक भिन्न नहीं हैं। भिन्नता तो इन दोनों के उद्देश्यों, सामग्री और संगठन और पढ़ाने की विधियों में है। सामाजिक विज्ञान जहाँ भिन्न-भिन्न विषयों के रूप में पढ़े जाते हैं वहीं सामाजिक अध्ययन मानव सम्बन्धों को ही अपना केन्द्र मानकर समन्वित रूप से उनका अध्ययन करता है।

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