प्राचीन तथा नैमित्तिक अनुबन्धन में अन्तर - Difference between ancient and casual contract
पावलाव के अनुसार प्राचीन और नैमित्तिक अनुबन्धों के भेद या तुलना करने में कठिन उपस्थित होती हैं। इस विचार से स्पष्ट है कि प्राचीन तथा नैमित्तिक अनुबन्धन की क्रिया मार्ग मुख्य उद्देश्य अधिगम है। कुछ मनोवैज्ञानिकों के लेखों से स्पष्ट होता है कि नुबन्धन के प्रयोगों में अनुवन्धन प्रक्रिया के तत्वों का निश्चित रूप से समाप्त करने के कारण बहुत से गोचर रूप से दोनो प्रकार के अनुबंधों में पाए जाते है। लिपमैन तथा काल्लर ने अपने अपने प्रयोगों के आधार पर भेद करने का प्रयत्न किया लेकिन शेफील्ड ने अपने प्रायोगिक तथ्यों के आधार पर इनके प्रयोग परिणाम की आलोचना की।
स्कीनर ने अनुबन्धित होने वाली अनुक्रियाओं के आधार पर अनुबन्धनों के वर्षको चर्चा की। प्रथम प्रकार के अन्क्रियाओं को प्रतिकूल तथा दूसर प्रकार की अक्रियाओं को घटित होने की संज्ञा दी। मेडनिक ने इस दोनों प्रकार की अनुक्रियाओं की काम्पट करत हार कहा कि प्रतिक्रिया अनुक्रिया सहज क्रियात्मक तथा पटित अक्रियान्चक हात है।
स्क्रीनर प्राचीन अनुचन्चन का उद्दीपक प्रकार तथा नैमित्तिक अनुबन्धन को अनुक्रिया प्रकार माना। प्राचीन अनुवन्धन या उद्दीपक प्रकार में पुनर्बल का सह-सम्बन्ध उद्दीपक से साथ जाना है। वैमित्तिक अनुवन्धन या अनुक्रिया प्रकार में अनुक्रिया तथा पुनर्बलन के बीच अध्यात्मक सह-गम्वन्ध होता है। इनमें अनुक्रिया के होने पर ही पुनर्बलन प्राप्त होता है। इस कार यह पुनर्बलन निमित्त अनुक्रिया है। इसी कारण से हिल्गार्ड तथा मारविक्स ने इस अनुवन्धन को नेभिनिक अनुवन्धन कहा।'
प्राचीन अनुवन्धन या उद्दीपक प्रकार का अनुबन्धन सहज क्रियाओं तक सीमित है जबकि रेथितिक अनुवन्धन या अनुक्रिया प्रकार का अनुबन्धन प्रत्येक प्रकार के ऐच्छिक पेशीय अनुक्रियाओं में होता है। स्कीनर ने प्राचीन अनुबन्धन या उद्दीपक प्रकार के अनुबन्धन में शुद्धता का अभाव होता बताया।