प्रासंगिक चर - Contextual variables
किसी भी प्रायोगिक परिस्थिति में अनाश्रित और आश्रित चरों के अतिरिक्त कुछ ऐसी दवाएँ विद्यमान रहती हैं, जो आश्रित चरों को प्रभावित कर सकती हैं। ऐसी दशा में कर्ता आश्रित चर पर अनाश्रित चर के प्रभाव को ठीक-ठीक अध्ययन करने में असमर्थ हो जाता है।
ये चर इसलिए प्रासंगिक कहे जाते हैं, क्योंकि ये अनुक्रियाओं को प्रभावित करने सक्षम होते हैं और प्रसंगतः आते हैं। इनके अतिरिक्त कुछ अन्य चर भी वातावरण में मान हो सकते हैं जो आश्रित चर पर प्रभाव डालने में असमर्थ हों। ऐसे चरों को अप्रासंगिक चर कहा जाता है क्योंकि प्रसंगतः उनकी उपस्थिति या अनुपस्थिति अनुक्रिया को प्रभावित करने में अक्षम होती है।
'डी' एमेटो के अनुसार प्रासंगिक चर तीन वर्गों में बाँटे जा सकते हैं- प्राणिगत, प्रायोगिक परिस्थिति जन्य या परिवेशीय तथा प्रायोगिक अनुक्रम जन्य। प्राणिगत, प्रासंगिक का प्रयोज्यों की विशेषताओं से सम्बन्धित होते हैं। प्रायोगिक परिस्थिति जन्य या परिवेशीय प्रासंगिक चर ऐसे चर हैं जो प्रयोगशाला की परिस्थिति से उत्पन्न होते हैं। अनुक्रम प्रासंगिक कर प्रयोग के दौरान अपनाये गये अनुक्रम से सम्बन्धित होते हैं। प्रासंगिक चरों का ठीक-ठीक नियन्त्रण करना प्रयोग के लिए अत्यधिक आवश्यक होता है।