मनोवैज्ञानिक प्रयोगों का संप्रत्यात्मक आधार ( Conceptual basis of psychological experiments )
मनोविज्ञान में प्राणी के व्यवहार का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है। प्राणी का व्यवहार किसी न किसी स्थान अथवा वातावरण में घटित होता है। प्राणी का व्यवहार स्वतः ही घटित नहीं होता है बल्कि व्यवहार के घटित होने का कोई न कोई कारण अवश्य होता है।
यह कारण प्राणी के आस-पास के वातावरण से सम्बन्धित हो सकता है और यह भी हो सकता है कि उसके व्यवहार का कारण उस प्राणी में होने वाली घटनाएँ या उद्दीपक हों। उदाहरणार्थ यदि एक व्यक्ति तेजी से भाग रहा है तो उसके तेजी से भागने का कारण बाह्य भी हो सकते हैं और उस प्राणी स्वयं से भी सम्बन्धित हो सकते हैं।
व्यवहार-प्राणी-उद्दीपक की विवेचना प्रयोगात्मक मनोवैज्ञानिक निम्न क्रम में करते हैं उद्दीपक प्राणी - व्यवहार (अनुक्रिया)। प्रयोगात्मक मनोवैज्ञानिकों ने अपने अध्ययनों के आधार पर निम्न सूत्र की रचना की है- उद्दीपक-प्राणी-अनुक्रिया (Stimulus-Organism-Response or S-O-R)। इस सूत्र की संक्षिप्त विवेचना निम्नलिखित है :
सूत्र का प्रथम पद उद्दीपक (Stimulus) है। प्राणी के सम्पूर्ण वातावरण को उद्दीपक के रूप में माना गया है। प्राणी के लिये वातावरण तभी सार्थक होता है जब वातावरण की घटनाएँ या वातावरण में स्थित वस्तुएँ या व्यक्ति प्राणी की ज्ञानेन्द्रियों के लिये उद्दीपन का कार्य करके उसकी ज्ञानेन्द्रियों को प्रभावित करती हैं।
सूत्र का दूसरा पद प्राणी (Organism) है। उद्दीपक समान होने पर सभी प्रकार के प्राणी एक जैसा व्यवहार नहीं करते है। प्राणी भिन्न-भिन्न प्रकार के होते हैं। मानव, पशु, पक्षी आदि सभी जिनमें प्राण है अथवा चेतन है वह सब प्राणियों की श्रेणी के अन्तर्गत आते हैं।
सूत्र का तीसरा पद अनुक्रिया है। अंनुक्रिया शब्द अनु+क्रिया से मिलकर बना है जिसमें 'अनु' पहले है, 'अनु' उपसर्ग है। इसका अर्थ पश्चात् या बाद में है। मनोविज्ञान में बहुधा व्यवहार और अनुक्रिया शब्द एक-दूसरे के पर्यायवाची के रूप में उपयोग में लाये जाते हैं।