सामान्य सामाजिक प्रेरक - Common Social Motivators
सम्पूर्ण प्राणियों में कुछ प्रेरक सामान्य रूप से पाये जाते हैं। चाहे वह किसी भी संस्कृति या प्रजातियों का क्यों न हो। ऐसे प्रेरकों को सामाजिक प्रेरक कहा जाता है। कुछ मनोवैज्ञानिकों ने भूलकर इन्हें मूल प्रवृत्ति के रूप में कहा, लेकिन ये जन्मजात प्रेरक नहीं होते हैं।
वास्तविकता यह है कि इन्हें सीखा या अर्जित किया जाता है। शेरिफ एवं शेरिफ ने इसे स्पष्ट करते हुए कहा कि "सामाजिक प्रेरक वे होते हैं जो व्यक्ति अपने सामाजिक, सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से प्राप्त करता है।
ये प्रेरक निम्नलिखित हैं।
1. सामुदायिकता,
2. आत्म-प्रदर्शन,
3. अर्जनात्मकता तथा
4.युयुत्सः ।
1. सामुदायिकता-
समूह या समुदाय में रहने की प्रवृत्ति एक अर्जित प्रेरणा है। यह सभी प्राणियों में पायी जाती है चाहे मनुष्य हो या पशु। मैक्डूगल ने इसे जन्मज़ात प्रवृत्ति अथवा मूलप्रवृत्ति कहा जो सर्वथा अनुचित है।
2. आत्मप्रदर्शन-
यह भी एक शक्तिशाली प्रेरणा है। आत्मप्रदर्शन प्रायः सभी मानव प्राणियों में पायी जाती है। इसे हम नेतृत्व, प्रतिष्ठा की भावना, आत्मगौरव तथा कठिनाइयों में विजय पाने की इच्छा में देखते हैं। एक व्यक्ति दूसरों से श्रेष्ठ होने का प्रदर्शन करना है ऐसी प्रेरक प्रवृत्ति छोटे-से-छोटे व्यक्ति में भी पायी जाती है।
3. अर्जनात्मकता-
अर्जनात्मकता का तात्पर्य उपयोगी एवं आवश्यक वस्तुओं को करने, उन्हें अधिकार में रखने एवं उनकी रक्षा करने की प्रवृत्ति है। मैक्डगल ने इसे जन्म मूल प्रवृत्ति के रूप में माना जो सर्वथा गलत है। यह एक सामान्य प्रेरक है जिसे सीखा अर्जित किया जाता है। अन्य सामाजिक प्रेरणाओं की भाँति इस प्रेरक की भी उ बाल्यकाल से होती है।