उपयोगी परिकल्पना की विशेषताएं - Characteristics of the Useful Hypothesis
उपयोगी परिकल्पना की निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएँ होती हैं-
1. परिकल्पना समस्या का पर्याप्त उत्तर होना चाहिए-
चूँकि परिकल्पना समस्या का प्रस्तावित उत्तर है अतः यह उत्तर पर्याप्त होना आवश्यक है। आवश्यक नहीं है कि किसी समस्या का एक ही प्रस्तावित उत्तर हो, कई प्रस्तावित उत्तर हो सकते हैं। अतः अध्ययनकर्त्ता जो परिकल्पना बनाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि समस्या के सम्बन्ध में यदि एक परिकल्पना पर्याप्त न हो तो जितनी परिकल्पनाओं की आवश्यकता हो, उतनी परिकल्पनाओं का निर्माण करना चाहिए।
2. परिकल्पना समस्या का सरल उत्तर होना चाहिए-
अध्ययनकर्ता को परिकल्पना बनाते समय ध्यान रखना चाहिए कि परिकल्पना की शब्दावली सरल हो, भ्रमपूर्ण और कठिन भाषा का प्रयोग न हो, परिकल्पना सम्बन्धी कथन बहुत अधिक लम्बा न हो।
3. परिकल्पना विशिष्ट होनी चाहिए-
परिकल्पना की विशिष्टता का गुण भी परिकल्पना से सम्बन्धित आँकड़ों के संकलन में सहायक होता है। अतः परिकल्पना का विशिष्ट होना आवश्यक है।
4. परिकल्पना के सम्बन्ध में प्रदत्तों का संकलन सम्भव होना चाहिए-
अध्ययनकर्त्ता यदि ऐसी परिकल्पना बनाता है जिस पर आंकड़े एकत्र करना सम्भव नहीं है तो इस प्रकार की परिकल्पना का निर्माण व्यर्थ है क्योंकि ऐसी परिकल्पना की जाँच सम्भव नहीं है।
5. शून्य परिकल्पना अन्य परिकल्पनाओं की अपेक्षा श्रेष्ठ होती है-
वैज्ञानिक अध्ययन में जहाँ उच्च सांख्यिकीय विधियों का प्रयोग किया जा रहा है वहाँ शून्य परिकल्पना अन्य उपकल्पनाओं की अपेक्षा अधिक उपयुक्त होती है।
6. परिकल्पना के परीक्षण के लिए यन्त्र उपलब्ध होने चाहिए-
प्रयोगकर्ता को परिकल्पना की रचना करते समय इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए कि परिकल्पना के परीक्षण हेतु आँकड़ों के संकलन के लिए उपकरण और परीक्षण अवश्य उपलब्ध होने चाहिए।
7. परिकल्पना किसी सिद्धान्त से सम्बन्धित होनी चाहिए-
अध्ययनकर्ता को समस्या ऐसी बनानी चाहिए जो किसी न किसी सिद्धान्त से सम्बन्धित हो।