परिकल्पना के कार्य एवं महत्व
परिकल्पना निर्माण के बिना न तो कोई प्रयोग हो सकता है, और न ही वैज्ञानिक विधि से अनुसंधान। भौतिक विज्ञानों में किसी क्रार्य का कारण केवल एक ही हो सकता है, जैसे- ऊपर से वस्तुाएं नीचे क्यों गिरती हैं? गुरुत्वाकर्षण के कारण। किन्तु सामाजिक विज्ञान में तो किसी भी व्यवहार के अनेक कारण हो सकते हैं। कारणों की बहुलता के कारण सामाजिक अनुसंधान में परिकल्पनाओं का महत्व बढ़ जाता है।
ब्राउन तथा घिशैली के अनुसार परिकल्पना के उपयोग से प्रायः निम्नलिखित लाभ होते-
1. परिकल्पना एक व्याख्या के रूप में
अज्ञात कारकों तथा चरों के सम्बन्ध में परिकल्पना एक व्याख्या प्रस्तुत करती है।
2. परिकल्पना अनुसंधान का प्रेरक परिकल्पना का निर्माण
अनुसंधान कार्य में जब नहीं होता एक प्रकार की शिथिलता बनी रहती है। परन्तु जैसे ही एक उपर्युक्त परिकल्पना की रचना पूर्ण हो जाती है उससे अनुसंधान कार्य को एक प्रकार का उद्दीपक प्राप्त होता है।
3. परिकल्पना पद्धति विकास में सहायक
परिकल्पना का स्वरूप कभी-कभी एक नवीन अध्ययन पद्धति के विकास में सहायक रहता है।
4. समस्या के क्षेत्र को सीमाबद्ध करना-
इसकी रचना से अध्ययन का क्षेत्र सुनिश्चित तथा साविद्ध हो जाता है, और इससे विशिष्ट अध्ययन में सुविधा रहती है।
5. तर्कसंगत आँकड़ों के संकलन में सहायता
परिकल्पना केवल अध्ययन के क्षेत्र को ही संग्रहित नहीं करती बल्कि उससे सम्बन्धित तर्कसंगत आँकड़ों के संकलन में सहायता पहुँचाती। उन्हें दिशा प्रदान करती है।
6. वैज्ञानिक निष्कर्षों एवं तथ्यों का जानकारी-
परिकल्पना के विषय में एक परिकल्पना की विशिष्ट सम्बन्धों का पता भी लगता है और साथ ही साथ परिकल्पना के प्रमाणित जाने पर वैज्ञानिक निष्कर्षों व तथ्यों की जानकारी भी प्राप्त होती है।
7. सिद्धान्त की रचना में सहायता-
जब किसी एक घटना से सम्बन्धित विभित्र कल्पनाओं के आधार पर विभिन्न तथ्यों की जानकारी उपलब्ध होती है, तब इन तथ्यों को एक संगठित रूप में परिवर्तित करने पर सिद्धान्त रचना में सहायता मिलती है।