बहिर्दर्शन विधि की उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।

बहिर्दर्शन विधि की उपयोगिता

बहिर्दर्शन का अर्थ है किसी एक दशा का बाहर से निरीक्षण करना। क्रो एवं क्रो ने इसकी व्याख्या करते हुए कहा है- माता-पिता तथा अन्य प्रौढ़ व्यक्ति बालकों की प्रतिदिन की चेष्टाओं का जो निरीक्षण करते हैं, वह साधारण निरीक्षण है।


इसमें निरीक्षण की क्रिया की स्वतन्त्रण रहती है, निरीक्षण विधि में व्यक्ति या प्राणी से बाह्य व्यवहार आंगिक अभिव्यकि आदि का निरीक्षण उसके मूल व्यवहार की ओर संकेत करता है।


बिल्ली पिंजड़ा खोलता है कुत्ता जाली में रखी हुई वस्तुओं को बाहर निकालता है, बन्दर आदमी के व्यवहार की नकला करता है। यह समस्त क्रियायें निरीक्षण द्वारा की जाती हैं।


निरीष्ण या बहिर्दर्शन में व्यवहार का प्रत्यक्षीकरण किया जाता हैं। जिस भी समुदाय या व्यक्ति का अध्ययन करना चाहते हैं उस समुदाय या व्यक्ति के मध्य रहकर उसके व्यवहार को समझा जता है।

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