अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक पुनर्विलोकन | Judicial Review of the US Supreme Court

अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति की विवेचना कीजिए | Judicial Review of the US Supreme Court in Hindi

संघीय व्यवस्था के अनुरूप ही अमेरिका में एक स्वतन्त्र व निष्पक्ष न्यायपालिका की व्यवस्था की गई । इसीलिए अमरीकियों को अपने देश की स्वतंत्र न्यायपालिका पर अभियान है क्योंकि निष्पक्ष विश्लेषण के बाद यह अभियान सर्वधा उचित है । अब तक का इतिहास इस बात का साक्षी है कि अमरीकी न्यायपालिका ने अपने अधिकारों , उत्तरदायित्वों का भली - भाँति निर्वहन किया है ।

अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक पुनर्विलोकन

गोडशैल ने लिखा कि, " केवल संविधान अधिकारों की एक शानदार सूची का होना ही पर्याप्त नहीं है , वरन् एक ऐसी स्वतन्त्र संस्था का होना भी आवश्यकता है , जो कार्यपालिका के प्रभाव से मुक्त हो तथा जो उन अधिकारों पर न्यायपूर्वक संरक्षण प्रदान कर सके तथा राज्य की स्वतंत्रता की गारण्टी दे सके । " अमेरिका की संधीय न्याय प्रणाली की संरचना इस प्रकार से की गई है कि न वह केवल पूरी तरह से सशक्त व स्वतन्त्र है न केवल नागरिक अधिकारों के पालन का ही आश्वासन देती है , बल्कि राज्यों की स्वायत्तता, स्वतन्त्रता की भी रक्षक है।


इस कारण संविधान निर्माता व बुद्धिजीवी एक स्वतन्त्र व निष्पक्ष कार्यपालिका की स्थापना आवश्यक मानते थे और इसीलिए संविधान में ऐसा प्रावधान किया गया है कि, " न्यायपालिका को अधिकाधिक स्वतन्त्र व निष्पक्ष बनाया जा सके । " अब तक अनुभव यह दर्शाता है कि न्यायपालिका ( सर्वोच्च न्यायालय ) ने अपने इस दायित्व का निर्वाह अच्छी तरह से किया है या विश्व की सर्वाधिक प्रभावशाली, शक्तिशाली व प्रतिष्ठित न्यायपालिका होने का प्रमाण दिया ऐसा बहुत कुछ उसकी व्यापक न्यायिक पुनरावलोकन शक्ति के फलस्वरूप सम्भव हो सका है ।


अमरीका संविधान निर्माताओं ने नागरिक अधिकारों की रक्षा , राज्यों के बीच व संघ राज्यों के मध्य उत्पन्न विवादों के निराकरण , राज्यों की स्वायत्तता की रक्षा , संघीय कानूनों की व्यवस्था व पालन तथा संविधान की व्याख्या व संरक्षण आदि की दृष्टि से आवश्यक समझा । मुनरो के शब्दों में , " संविधान निर्माताओं ने निश्चय किया कि समस्त इकाइयों को परस्पर जोड़ने वाली सर्वोच्च संघीय न्यायपालिका अति आवश्यक है । " अमरीकी संविधान के अनुच्छेद 3 में अधिकार व कार्यक्षेत्र का वर्णन किया गया है ।


सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना के विषय में कहा है कि " न्याय विषयक शक्ति एक सर्वोच्च न्यायालय व उन अन्य नीचे के न्यायालयों में होगी , जिनकी स्थापना कांग्रेस विधि द्वारा समय - समय पर होगी । " किन्तु अमेरिकी में न्यायिक शक्तियों व विशेषकर न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति ( Power of judicial Review ) का प्रयोग सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ही किया जाता है । संविधान की शक्ति के अतिरिक्त न्यायालय की शक्ति व प्रतिष्ठा बढ़ाने में मुख्य न्यायाधीश मार्शल के ऐतिहासिक निर्णय का भी महत्पूर्ण योगदान है ।


क्योंकि कई विवादों का निर्णय देते हुए व संविधान की व्याख्या करते हुए पहले मुख्य न्यायाधीश मार्शल व उसके बाद कई न्यायाधीशों ने योजनाबद्ध तरीके से न्यायालय की शक्तियों में वृद्धि की है । तभी तो आलोचक यहाँ तक कहते हैं । कि " सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियाँ विधियों की व्याख्या करते - करते , विधि - निर्माता बन बैठी हैं तथा कांग्रेस का तृतीय कक्ष ( Third chamber of the Congress ) बन बैठा है। " 


न्यायिक पुनर्विलोकन 


सामान्यतया न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति वह शक्ति है जिसके आधार पर अमरीकी न्यायालय व विशेषकर सर्वोच्च न्यायालय कांग्रेस व राज्य विधान मण्डलों द्वारा पारित कानूनों व कार्यपालिका के आदेशों को विधान विरुद्ध होने पर अवैध करार कर सकते हैं । अमरीकी सर्वोच्च न्यायालय की यह एक विलक्षण शक्ति है । जिसके कारण उसे विश्व का सर्वाधिक शक्तिशाली व स्वतंत्र न्यायालय माना जाता है ।


यह शक्ति यद्यपि संविधान द्वारा उसे प्रदत्त नहीं है , तथापि यह उसे स्वयं ही अर्जित हो गई । इसकी व्याख्या विभिन्न विद्वानों व न्यायाधीशों ने की है , जिसमें मुख्य न्यायाधीश मार्शल का नाम विशेष उल्लेखनीय है । मुनरो की व्याख्या के अनुसार , " यह वह शक्ति है जिसके अन्तर्गत कांग्रेस द्वारा पारित किसी कानून या किसी राज्य के संविधान की किसी व्यवस्था के विषय में यह निर्णय किया जाता है कि वह राज्य के संविधान के अनुकूल है या नहीं । "


न्यायाधीश मार्शल द्वारा 1803 में ' मारबरी बनाम मैडीस नामक एक विवाद में निर्णय देते समय कहा गया था कि " यह स्पष्ट रूप से न्यायिक विभाग के कर्तव्य व कार्यक्षेत्र में आता है कि यह बताये कि कानून क्या है ? ऐसा कानून भी संविधान के विपरीत है , अवैध है । " 


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