ब्रिटिश संविधान की विशेषताओं का वर्णन कीजिए | Describe the features of the British Constitution in Hindi
संविधान जीवन का वह मार्ग है, जिसे राज्य ने अपने लिए चुना है । ब्रिट्रेन ने अपनी परिस्थितियों के अनुरूप जिस संविधान को अपनाया है, उसकी अपनी कुछ विशेषताएं हैं-
1. विकसित संविधान
भारत, अमेरिका, फ्रांस और अन्य देशों के संविधानकी तरह ब्रिटिश संविधान का निर्माण नहीं, अपितु विकास हुआ है । इसने वर्तमान स्वरूप सदियों के विकास के बाद प्राप्त किया है । अतः ब्रिटिश संविधान की तुलना एक ऐसे विशाल भवन से की जा सकती हैं। जिसके विभिन्न भाग अलग - अलग पीढ़ियों के प्रयत्नों का परिणाम हो ।
2. अलिखित संविधान
ब्रिटिश संविधान अलिखित संविधान का एकमात्र उदाहरण है , यद्यपि कानूनों के रूप में कुछ लिखित अंश भी है । लेकिन उनका अधिकांश प्रथाओं और परम्पराओं के रूप में अलिखित ही है । न्यूमैन- " जो बात ब्रिट्रिश संविधान को विशिष्ट बनाती है, वह ऐसे अनेक नियमों का अस्तित्व है, जो केवल परम्परा पर आधारित है। "
3. लचीला या सुपरिवर्तनशील संविधान
ब्रिटिश संविधान इस दृष्टि से लचीला है कि ब्रिटिश संसद सामान्य बहुमत के आधार पर ही संविधान में कोई परिवर्तन कर सकती है । एन्सन ने लिखा है कि " हमारी पार्लियामेन्ट जंगली चिड़ियों अथवा शैल मछलियों की रक्षा के लिए कानून बना सकती है या लाखों नागरिकों को राजनीतिक शक्ति प्रदान कर सकती है अथवा उसका वितरण नवीन निर्वाचन क्षेत्रों में कर सकती है । "
4. सिद्धांत और व्यवहार में अंतर
ब्रिटिश संविधान का एक महत्वपूर्ण लक्षण सिद्धांत और व्यवहार में अंतर है । मुनरों के शब्दों में- " ब्रिटिश शासन में जो कुछ दिखायी देता है वह वास्तव में है नहीं और जो है , वह दिखायी नहीं देता । ” आग वैद्धान्तिक दृष्टि से ग्रेट ब्रिटेन की शासन व्यवस्था निरंकुश राजतंत्रात्मक है पर उस रूप सीमित संवैधानिक निरंकुश राजतंत्रात्मक है पर उस रूप सीमित संवैधानिक राजतंत्र है और वस्तुतः वह लोकतांत्रिक गणराज्य है । " सभी शासन व्यवस्थाओं में सिद्धांत व व्यवहार में अनेक भेद पाये जाते हैं, पर जितने अधिक रूप में वे अंग्रेजी संविधान में पाये जाते हैं, उतने किसी संविधान में नहीं पाये जाते । "
ब्रिटेन में सैद्धान्तिक के दृष्टि से शासन व्यवस्था चाहे निरंकुश राजतंत्रात्मक हो , लेकिन व्यवहार में पूर्णलोकतंत्रात्मक शासन है । बेजहाट ने इस सम्बंध में लिखा है कि- " यदि संसद के दोनों सदन उसके मृत्यु को पारित कर उसके पास प्रेषित करें तो उस पर भी उसे हस्ताक्षर करना ही पड़ेगा । " इसी सम्बंध में लास्की टिप्पणी करता है कि " राजतंत्र ने अपने आपकों जनता के हाथों में बेंच दिया है । " आग के शब्दों में इंग्लैण्ड की स्थिति आज मुकुटधारी गणतंत्र की है ।
5. संसदात्मक प्रजातंत्र
ब्रिटेन में संसदीय शासन को अपनाया गया है और ब्रिटेश शासन संसदात्मक व्यवस्था का आदर्श प्रतीक है । संसादात्मक शासन के तीनों ही लक्षण ( दोहरी कार्यपालिका , व्यवस्थापिका और कार्यपालिका में घनिष्ठ सम्बंध तथा कार्यपालिका के कार्यकाल की अनिश्चितता ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत पूर्ण अंशों में विद्यमान हैं ।
6. संसद की सर्वोच्चता या प्रभुसत्ता
ब्रिटिश संविधान की एक अन्य विशेषता संसद की प्रभुसत्ता या सर्वोच्चता का सिद्धांत है । ब्रिटिश संसदीय की असीम शक्ति को लक्ष्य करते हुए डी . लेम्ब ने लिखा है- " संसद स्त्री को पुरुष और पुरुष को स्त्री बनाने के अतिरिक्त अन्य सब कुछ कर सकती है । "
7. एकात्मक शासन
ब्रिटेन में एकात्मक शासन को अपनाया गया है । संविधान द्वारा शासन की समस्त शक्ति केन्द्रीय सरकार में नीहित कर दी गयी है और यह केन्द्रीय सरकार ही सम्पूर्ण देश के शासन का संचालन करती है । यद्यपि प्रशासनिक सुविधा की दृष्टि से केन्द्रीय सरकार द्वारा स्थानीय प्रशासनिक इकाइयों की स्थापना की गयी है ।
8. विधि का शासन
ब्रिटिश संविधान की प्रमुख विशेषता विधि का शासन है । इंग्लैण्ड के शासन का संचालन किन्हीं विशेष व्यक्तियों द्वारा नहीं वरन् विधि के द्वारा ही किया जाता है । डायसी ने कहा है कि " विधि के शासन के अनुसार प्रत्येक सरकारी कर्मचारी प्रधानमंत्री से लेकर सिपाही और कर संग्रह करने वाले अधिकारी तक , अपने अवैध कार्यों के लिए देश के कानून के प्रति उसी प्रकार उत्तरदायी है जैसे कोई अन्य सामान्य नागरिक । "
9. अधिकार पत्र का अभाव, किन्तु नागरिक स्वतंत्रताओं और अधिकारों की विद्यमानता
ब्रिटिश संविधान में अधिकार पत्र जैसी व्यवस्था का अभाव है लेकिन संविधान में अधिकार पत्र के अभाव होने पर भी ब्रिटिश नागरिक अन्य देशों के नागरिकों की तुलना में कम स्वतंत्र या कम अधिकार सम्पन्न नहीं है ।
10. मिश्रित शासन प्रणाली
परिस्थितियों के अनुसार विकास ने जहां संविधान में प्रगतिशीलता का समावेश किया है । इसी कारण संविधान में असंगति का प्रमाण तथा प्रतीक है । ब्रिटेन की मिश्रित शासन प्रणाली । मूल रूप से तीन प्रकार की शासन व्यवस्थाएं ( राजतंत्र , कुलीतंत्र और प्रजातंत्र ) होती है । ब्रिटेन में इन तीनों ही शासन व्यवस्थाओं के लक्षण विद्यमान है ।
( 11 ) द्विदल पद्धति
ब्रिटेन में दलों के संगठन की स्वतंत्रता के बावजूद लगभग दो ही राजनीतिक दलों की प्रमुखता रही है । ब्रिटेन में दो प्रमुख दल है - अनुवार और मजदूर दल । ब्रिटेन में संसदीय शासन की अद्वितीय सफलता का बहुत कम कुछ श्रेय इस द्विदलीय पद्धति को ही दिया जा सकता है ।
( 12 ) सीमित रूप में शक्ति विभाजन का सिद्धांत
ब्रिटेन में शक्ति पृथ्थकरण सिद्धांत को उत्तरदायित्व के केन्द्रीकरण के सिद्धांत के साथ मिश्रित कर दिया गया है । रेम्जेम्योर के शब्दों में यदि शक्तियों का विभाजन अमेरिकी संविधान का एक आवश्यक सिद्धांत है तो उत्तरदायित्व का केन्द्रीकरण अंग्रेजी संविधान का आवश्यक सिद्धांत है । बेजहाट " ब्रिटिश संविधान की सफलता का रहस्य विधायी और कार्यपालिका शक्तियों के संयोग में निहित है । "
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