लोकतंत्र में न्यायपालिका के कार्य | Functions of Judiciary in Democracy in Hindi

लोकतंत्र में न्यायपालिका के कार्य | Functions of Judiciary in Democracy

( 1 ) न्यायिक कार्य

न्यायपालिका का प्रमुख कार्य न्याय करना है । न्यायपालिका के समक्ष विविध प्रकार के विवाद निर्णय के लिए आते हैं , जैसे फौजदारी , दीवानी अथवा माल सम्बन्धी । न्यायालय व्यक्तियों के पारस्परिक झगड़ों को वर्तमान कानून के अनुसार सुलझाता है । फौजदारी के मामलों में वह यह देखता है कि अभियुक्त ने कानून का उल्लंघन किया है अथवा नहीं ।


जिन अभियुक्तों को न्यायालय अपराधी घोषित करता है और तदनुसार उन्हें दण्ड देता है । न्यायालय यह नहीं देखता है कि कोई कानून अच्छा है अथवा बुरा । उसका कार्य तो वर्तमान कानूनों के अनुसार विवादों और मुकदमों का निर्णय करना है । 


( 2 ) कानूनों की व्याख्या करना

कानूनों की व्याख्या करना न्यायपालिका के महत्वपूर्ण कार्यों में हैं कुछ कानूनों की भाषा और भाव स्पष्ट नहीं होते । निर्णय के लिए प्रस्तुत अभियोगों में अन्तर्निहित कानून की जटिलता को स्पष्ट कर यह उसकी विधिवत् व्याख्या करती है । इन कानूनी व्यवस्थाओं से कभी - कभी कानून के अर्थ और प्रयोग में वृद्धि होती है । इसीलिए कहा जाता है कि न्यायपालिका कानून के निर्माण के साथ ही कानून की व्यवस्था भी करती है । 


( 3 ) औचित्य के आधार पर निर्णय करना

कभी - कभा न्यायालय के समक्ष ऐसे मुकदमें आ सकते हैं जिनके सम्बन्ध में कोई कानून नहीं होता । ऐसे मुकदमों का निर्णय न्यायालय औचित्य के आधार पर करते हैं । यही निर्णय आगे चलकर कानून का रूप धारण कर लेते हैं जिन्हें केस लॉ कहते हैं । जिन विवादों के सम्बन्ध में कानून स्पष्ट नहीं होता उनका निर्णय वह कानून को स्पष्ट करके करती है । 


( 4 ) नागरिकों के अधिकारों की रक्षा

न्यायालय का यह एक महत्वपूर्ण कार्य है कि वह व्यक्ति की स्वतन्त्रता और उसके अधिकारों की रक्षा करे । यदि किसी व्यक्ति की स्वतन्त्रता अथवा अधिकारों पर किसी व्यक्ति द्वारा आक्रमण हो तो वह न्यायालयों से न्याय की माँग कर सकता है । 


( 5 ) संविधान की विरोधी विधियों को अवैध घोषित करना

लिखित संविधान में न्यायपालिका को यह अधिकार प्राप्त होता है कि वह शासन द्वारा निर्मित विधि को संविधान का विरोधी समझकर अवैध घोषित कर सकती है । 


( 6 ) न्यायपालिका और संघीय राज्य

संघात्मक राज्यों में यह निष्पक्ष न्यायालय का बड़ा महत्व है । यह संघीय राज्यों के मध्य के प्रत्येक प्रकार के संघर्षों का निर्णय करता है । राज्यों को दूसरे की सीमा में अतिक्रमण करने से रोकता है । राज्य तथा केन्द्र के संघर्षों को सुलझाने के लिए इसका होना बहुत आवश्यक है । 


( 7 ) परामर्श सम्बन्धी कार्य

कुछ राज्यों में यह कानूनी प्रश्नों पर कार्यपालिका एवं व्यवस्थापिका को परामर्श भी देती है । भारत में राष्ट्रपति कानूनी प्रश्नों पर उच्चतम न्यायालय की राय मांग सकता है । उच्चतम न्यायालय अपनी राय देने के लिए बाध्य है चाहे राष्ट्रपति उसके अनुसार कार्य करे अथवा नहीं । न्यायपालिका द्वारा परामर्श देने की व्यवस्था इंग्लैंड , कनाडा , स्वीडन आदि अनेक देशों में है । न्यायपालिका का परामर्श बड़ा महत्वपूर्ण होता है । 


( 8 ) घोषणात्मक कार्य

कभी - कभी न्यायपालिका घोषणात्मक निर्णय भी देती है । जब कभी दोनों पक्षों द्वारा किसी विवाद पर न्यायपालिका का मत माँगा जाता है तो न्यायाधीश यह घोषण करते हैं कि कानून के अनुसार क्या ठीक है और क्या ठीक नहीं है । 


( 9 ) अन्य कार्य


उपवर्णित कार्यों के अतिरिक्त न्यायपालिका के कुछ अन्य कार्य भी हैं । इनमें मुख्य कार्य हैं -

( 1 ) न्यायपालिका मृत व्यक्ति की सम्पत्ति की व्यवस्था करती है । 

( 2 ) यह विवादग्रस्त विषयों पर किसी पक्ष की प्रार्थना पर रिसीवर या आदाता नियुक्त करती है । 

( 3 ) यह सम्पत्ति की ट्रस्ट या प्रन्यास द्वारा व्यवस्था करती है । 

( 4 ) वह नाबालिगों की सम्पत्ति के लिए संरक्षक नियुक्त करती है । 

( 5 ) यह नागरिकों के मूल अधिकारों की रक्षा करती है । 

( 6 ) सार्वजनिक सम्पत्ति के लिए ट्रस्टी नियुक्त करती है । 

( 7 ) सरकारी कर्मचारियों को उन कार्यों को करने के लिए बाध्य करती है जो उनको सौंपे गये हैं।

इसे भी पढ़ें -

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top