अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय की संरचना एवं शक्तियाँ - Daily Preparation

अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय की संरचना एवं शक्तियों की विवेचना कीजिए | Structure and Powers of the US Supreme Court

संयुक्त राज्य अमेरिका में संविधान सर्वोच्च है। उसकी व्याख्या करने वाले निकाय के रूप उच्चतम न्यायालय भी सर्वोच्च हैं। यह न्यायालय संघीय या राजकीय सरकारों के विधानमंडलों द्वारा पारित किये कानूनों को अवैध घोषित कर सकता है। न्यायिक समीक्षा की इस शक्ति के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका में सर्वोच्च न्यायालय को अत्यधिक महत्व प्राप्त है। वह अमरीकी शासन व्यवस्था में अत्यन्त प्रभावशाली स्थान रखता है ।


एफ ० जे ० हैस्किन ने कहा है -" वह शासकीय यन्त्र का संतुलन-चक्र है । जब लोकमत के झकोरों से सरकार के अन्य विभाग हिल जाते हैं, तब वह अपना न्यायिक सन्तुलन बनाये रखता है । कर्तव्य हर समय और हर परिस्थिति में देश के सर्वोच्च कानून के रूप में संविधान को कायम रखना है, इस शक्ति का कार्यान्वित होना समस्त जनता की भलाई के लिए नितान्त आवश्यक है " 


संगठन

सर्वोच्च न्यायालय के 9 न्यायाधीश हैं- एक मुख्य न्यायाधीश और आठ अन्य न्यायाधीश इनकी नियुक्ति सीनेट की मन्त्रणा और स्वीकृति से राष्ट्रपति द्वारा की जाती है । संविधान में न्यायाधीशों की योग्यताएँ निर्धारित नहीं की गयी हैं । इसलिए राष्ट्रपति स्वविवेकानुसार नियुक्तियाँ करता है । यद्यपि संविधान में न्यायाधीशों के लिए कोई भी विशेष योग्यताएँ निर्धारित नहीं की गयीं हैं किन्तु व्यवहार में प्रायः ऐसे व्यक्तियों को ही न्यायाधीश नियुक्त किया जाता है जो प्रतिष्ठित एवं योग्य नागरिक , प्रसिद्ध विधिवक्ता, वरिष्ठ अधिवक्ता अथवा प्रशासकीय अभिकरणों के अनुभवी परमर्शदाता हों ।


टॉकेबिली ने उनकी योग्यताओं को इन शब्दों में व्यक्त किया है । " संघीय न्यायाधीशों को न केवल अच्छे नागरिक, विद्वान तथा सत्यनिष्ठ होना चाहिए बल्कि उन्हें कुशल राजनीतिज्ञ भी होना चाहिए । " आगे वे कहते हैं— “ यदि सर्वोच्च न्यायालय में कभी नासमझ या बुरे नागरिक आ जाये तो संघ में अराजकता एवं गृह युद्ध फैलने की सम्भावना है । " सर्वोच्च न्यायालय के कार्य और शक्तियाँ सांविधानिक उपबन्ध - संघीय न्यायालय का अधिकार क्षेत्र केवल कुछ ऐसे विषयों तक सीमित है जिनका संविधान में स्पष्ट उल्लेख या जो संविधान में उपलक्षित हैं । शेष समस्त विषयों पर राज्य के न्यायालयों का अधिकार है ।


सर्वोच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र के विषयों में अनुच्छेद 8 में कहा गया है " इन न्यायालय का अधिकार - क्षेत्र राज्य रचित एवं परम्परा प्राप्त कानून तथा सामान्य सिद्धान्त ( Equity ) दोनों ही होंगे , उन स्थितियों में जो संविधान में संयुक्त राज्य के कानून तथा संयुक्त राज्य द्वारा की गयी अथवा की जाने वाली सन्धियों के अनुसार उत्पन्न होगी ।


राजदूतों, काउन्सलों तथा अन्य राज्य प्रतिनिधियों से सम्बन्धित मुकदमें, जल सेना तथा सामुद्रिक अधिकारी क्षेत्र सम्बन्धी सभी प्रश्नों में उन सब स्थितियों में, जहाँ संयुक्त राज्य एक पक्ष होगा संयुक्त राज्य के दो या दो अधिक राज्यों के पारस्परिक विवादों में विभिन्न राज्यों के नागरिकों के पारस्परिक विवादों में तथा एक राज्य अथवा उसके नागरिकों और विदेशी राज्यों तथा नागरिकों पारस्परिक विवादों से संघीय न्यायपालिका को निर्णय करने का अधिकार होता है ।


उपर्युक्त अनुच्छेद के अनुसार सर्वोच्च न्यायपालिका के क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत निम्नलिखित मुकदमें आते हैं- 

( 1 ) संविधान विधियों और संधियों से सम्बन्धित मुकदमें 

( 2 ) राजपूतों , राजनीतिक अधिकारों और वाणिज्य दूतों से सम्बन्धित मुकदमें 

( 3 ) नाविक मुकदमें ।

( 4 ) ऐसे मुकदमें जिनमें संयुक्त राज्य अथवा कई एक राज्य एक पक्ष के रूप में विवादग्रस्त हो । 

( 5 ) विभिन्न एककों के बीच विवाद । 


सुविधा के दृष्टिकोण से सर्वोच्च न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र तथा कार्यो का निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत किया जा सकता है -

( क ) प्रारम्भिक अथवा मौलिक क्षेत्राधिकारों 

( ख ) पुर्नविचार क्षेत्राधिकार 

( ग ) न्यायायिक पुनर्विलोकन का अधिकार 

( घ ) संविधान तथा नागरिक अधिकारों का संरक्षण तथा अभिरक्षण एवं 

( ङ ) अन्य अधिकार 


( क ) प्रारम्भिक अधिकार क्षेत्र 

संविधान सर्वोच्च न्यायालय को प्रारम्भिक अधिकार - क्षेत्र देता है । लेकिन सर्वोच्च न्यायालय का यह अधिकार क्षेत्र अन्य नहीं है । यद्यपि कांग्रेस इस अधिकार क्षेत्र को घटा बढ़ा नहीं सकती है , फिर भी इन्हीं विषयों से वह दूसरे न्यायालय को अधिकार प्रदान कर सकती है संविधान दो विषयों पर सर्वोच्च न्यायालय की प्रारम्भिक अधिकार क्षेत्र प्रदान कर सकता है 


( 1 ) ऐसे मामले जिनका सम्बन्ध राजदूतों, वाणिज्यों - दूतों अथवा अन्य प्रकार के विदेशी राज्यों के प्रतिनिधियों से हो । आधुनिक युग ऐसे झगड़े राष्ट्रीय न्यायालय में कम उठाये जाते हैं क्योंकि ये अन्तराष्ट्रीय विधि तथा प्रथाओं के अन्तर्गत आते हैं ।


( 2 ) ऐसे मामले जिनमें एक पक्ष संयुक्त राज्य संघ सम्मिलित कोई राज्य हो अर्थात् ऐसे झगड़े जिनमें दो से अधिक राज्य शामिल हों , संयुक्त राज्य ने किसी राज्य पर मुकदमा किया हो या एक से अधिक राज्यों ने संयुक्त राज्य पर मुकदमा किया हो । 


( ख ) पुनर्विचार अधिकार क्षेत्र

अमरीकी संविधान के अनुसार प्रारम्भिक क्षेत्र के विषयों को छोड़कर अन्य सभी विषयों पर सर्वोच्च न्यायालय का अपील अधिकार क्षेत्र होगा । लेकिन कांग्रेस इस अधिकार - क्षेत्र में परिवर्तन ला सकती है । उसे घटा या बढ़ा सकती है । इस अधिकार के अन्तर्गत सर्वोच्च न्यायालय राज्य न्यायालय तथा निम्न संघीय न्यायालय के विरुद्ध अपील सुनता हैं वह उत्प्रेषण के रिट द्वारा राज्य के न्यायालयों से ऐसे सभी मामलों को अपने समझ विचार मँगवा सकता है , जिसमें संविधान की किसी व्यवस्था या संधि की व्याख्या का प्रश्न निहित हो ।


राज्य न्यायालयों से अपील की सुनवाई तभी होती है , जब राज्य के उच्च न्यायालय ने संघ के किसी कानून या संधि के विरुद्ध निर्णय दिया हो या संघीय विधि तथा संधि के प्रतिमूल किसी राज्य विधि को वैध घोषित किया हो । निम्न संघीय न्यायालयों के विरुद्ध अपील तभी सुनी जाती है जब उनके द्वारा राज्य विधि इस आधार पर अवैध घोषित कर दी गयी हो कि उसमें संविधान कानून या संधि का उल्लंघन हो रहा है ।


1936 ई . में यह नियम बना दिया गया कि असंविधानिकता के आरोप पर सर्वोच्च न्यायालय सिर्फ 3000 डालर से अधिक क्षतिग्रस्त मामले की ही अपील सुनेगी । इस प्रकार अमेरिका का सर्वोच्च न्यायालय सिर्फ 3000 डालर से अधिक क्षतिग्रस्त मामले की ही अपील सुनेगी । इस प्रकार अमेरिका का सर्वोच्च न्यायालय केवल सांविधानिक महत्व के प्रश्नों से सम्बन्धित अपीलें ही सुन सकता है भारत का सर्वोच्च न्यायालय सांविधानिक मामलों के अतिरिक्त दीवानी तथा फौजदारी मामलों की भी अपीलें सुनता है । 


( ग ) न्यायिक पुनर्विलोकन

संयुक्त राज्य के सर्वोच्च न्यायालय का सबसे महत्वपूर्ण अधिकार न्यायिक पुनर्विलोकन का अधिकार है । इस अधिकार के अन्तर्गत सर्वोच्च न्यायालय संघीय कांग्रेस तथा राज्यों के विधानमण्डलों द्वारा बनायी गयी विधियों की सांविधानिकता का विचार करता है तथा उन्हें वैध या अवैध घोषित करता है इस वैधता का निर्णय कसौटियों के आधार पर होता है । 


प्रथम 

राज्य विधानमण्डल का संविधान के अनुसार इस कानून विशेष को निर्मित करने का अधिकार है या नहीं । द्वितीय कानून विधि की उचित प्रक्रिया ( Duedrocess of Law ) द्वारा बनाया गया है या नहीं । अमरीकी सर्वोच्च न्यायालय ने इस शक्ति का व्यापक प्रयोग किया है तथा संविधान को परिवर्तित कर दिया है । भारतीय सर्वोच्च न्यायालय को भी सीमित अंश में न्यायिक पुनर्विलोकन का अधिकार प्राप्त है । 


( घ ) संविधान का संरक्षक तथा अभिभावक

संयुक्त राज्य सर्वोच्च न्यायालय अमीरकी जनता के अधिकारों , स्वतन्त्रताओं तथा संविधान के संरक्षक, ( Protecor ) एवं संघीय व्यवस्था का अभिभावक है ( Guardian )। वह निर्देश, आदेश, परमादेश, लेख, प्रतिषेध, अधिकार पृच्छा , उत्प्रेषण इत्यादि द्वारा नागरिकों के मूल अधिकारों तथा संविधानिक ढांचे की रक्षा करता है । भारतीय सर्वोच्च न्यायालय भी नागरिक अधिकारों का संरक्षक तथा संविधान का अभिभावक है। 


( ङ ) अन्य अधिकार

सर्वोच्च न्यायालय अन्य छोटे - मोटे कार्यों को भी करता है । उसे अनेक प्रशासकीय कार्यों को करना पड़ता है । न्यायालय के निम्न कोटि के कर्मचारियों , जैसे - किरानी , सन्देश वाहक , स्टेनोग्राफर आदि की नियुक्ति न्यायालय स्वयं करता है । न्यायालय दीवानी तथा फौजदारी कार्य अपनी आज्ञाओं को लागू करना है ।


आदेश ( writs ) के माध्यम से इस कार्य को किया जाता है । सर्वोच्च न्यायालय के कार्यों के सम्बन्ध में यह उल्लेखनीय है कि उसे परामर्श देने का अधिकार नहीं है , जो अधिकतर भारतीय सर्वोच्च न्यायालय को प्राप्त है । सांविधानिक सम्मेलन की संज्ञा दी जाती है ।


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