बारडोली सत्याग्रह किसे कहते हैं?

बारदोली सत्याग्रह | What is Bardoli Satyagraha? In Hindi

गुजरात के सूरत जिले में स्थित बारडोली 1922 के बाद राजनैतिक गतिविधियों का केन्द्र बन गया। देश में एक ओर साईमन कमीशन का विरोध किया जा रहा था। उन्हीं विरोधी बारदोली किसानों ने लगान वृद्धि के विरुद्ध संघर्ष शुरू किया। गाँधीजी इस ताल्लुके से असहयोग आन्दोलन के गति देने वाले थे, किन्तु चौरी-चौरा की घटना से उन्होंने अपना विचार बदल दिया। यद्यपि इससे वहाँ के काँग्रेसी कार्यकर्त्ताओं का मनोबल कमजोर हुआ। किन्तु शीघ्र ही उन्हें गाँधीजी ने रचनात्मक कार्यों में लगा दिया।


किसानों की ओर से सरदार पटेल से आन्दोलन का नेतृत्व करने का अनुरोध किया गया। 4 फरवरी, 1928 को सरदार बल्लभ भाई पटेल बारदोली पहुँचे । सारे देश में इस आन्दोलन के समर्थन में आवाज उठी और बम्बई ( मुम्बई ) प्रान्त अन्य किसानों ने भी आन्दोलन की धमकी दी । अगस्त 1928 में गाँधी जी बारदोली पहुँचे और उन्होंने घोषणा की कि यदि सरकार सरदार पटेल को गिरफ्तार करती है, तो वे इसका नेतृत्व करेंगे।


अन्त में सरकार ने एक राजस्व अधिकारी मैक्सवेल से इस मामले की जाँच करवाई, उसने भी लगान की वृद्धि को अनुचित बताया। अन्ततः लगान घटाकर 6.03 प्रतिशत कर दिया गया । इस प्रकार अहिंसात्मक कृषक आन्दोलन सफल हुआ।


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