अमेरिका के संविधान की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए| Highlight the salient features of the US Constitution in Hindi
अमरीका संविधान विश्व का सर्वप्रथम लिखित व निर्मित संविधान है। वह अपने आप में निराला व आदर्श है। डी टाकविले के अनुसार " अमरीका का संविधान एक आदर्श प्रजातंत्रात्मक राज्य की स्थापना करता है। यह सरल व संक्षिप्त है तथा इसमें आवश्यक स्पष्टता व निश्चितता है । "ग्लेडस्टोन ने कहा था कि " अमरीकी संविधान मानव जाति की आवश्यकता एवं मस्तिष्क से उत्पन्न किसी निश्चित समय की सर्वाधिक आश्चर्यपूर्ण कृति है । "
अमेरिका के संविधान की प्रमुख विशेषताएं ( Salient Features of the US Constitution )
इस संविधान की अपनी कुछ अनूठी विशेषतायें इस प्रकार हैं-
( 1 ) लिखित व निर्मित संविधान-
अमेरिका का संविधान विश्व का सबसे पहला लिखित व निर्मित संविधान है । ब्रिटेन के संविधान की तरह इसका क्रमिक विकास न होकर एक निश्चित समय पर एक समिति द्वारा फिलाडेल्फिया सम्मेलन में मई , 1787 में निर्माण हुआ तथा इसे लिखित स्वरूप प्रदान किया गया इसे मार्च , 1789 में लागू किया गया इसका प्रभाव विश्व के अन्य संविधानों पर भी पड़ा । ब्राइस के संविधान विश्व के लिखित संविधानों में सर्वोच्च है । " स्वीकृति के पश्चात् यह 4 अनुसार " अमरीकी मार्च , 1789 से प्रचलन में आया और आज भी कारगर तरीके से कार्य कर रहा है ।
( 2 ) सरल व संक्षिप्त
अमेरिका का संविधान विश्व का सबसे सरल व संक्षिप्त संविधान है । इसमें सिर्फ 7 अनुच्छेद हैं जबकि भारत में 395 अनुच्छेद 12 अनुसूचियां, आस्ट्रेलिया में 128, कनाडा में 147 तथा दक्षिणी अफ्रीका में 153 अनु० हैं। इसे बहुत ही कम समय में आसानी से पढ़ा जा सकता है व जानकारी प्राप्त की जा सकती है । मुनरो के शब्दों में " अमरीकी संविधान में मात्र 4000 शब्द हैं जो 10 या 12 पृष्ठों में मुद्रित है , जिसे आधे घण्टे में पढ़ा जा सकता है। "
( 3 ) लोकप्रिय सम्प्रभुता
अमरीकी संविधान लोकप्रिय सम्प्रभुता ( Popu lar Sovereignty ) पर आधारित है । सम्प्रभुता जनता में निहित है । संविधान की प्रस्तावना में कहा गया है कि " हम संयुक्त राज्य अमेरिका के लोग अधिक शक्तिशाली संघ बनाने स्वतंत्रता के वरदान को सुरक्षित रखने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए इस संविधान को अपनाते हैं । " यह विधान स्वतंत्रता व आत्मनिर्णय का प्रतीक है ।
( 4 ) संविधान की सर्वोच्चता
अमरीका में संवैधानिक सर्वोच्चता के सिद्धान्त को अपनाया गया है । अमरीकी संविधान देश का सर्वोच्च कानून है तथा - राष्ट्रपति, कांग्रेस, सर्वोच्च न्यायालय व संघ की सभी इकाइयाँ इसके अधीन हैं । कोई इसका उल्लंघन नहीं कर सकता । अनुच्छेद 6 में कहा गया है कि, " यह संविधान व इसके अनुसार बनाये गये कानून तथा संयुक्त राज्य अमेरिका के प्राधिकार के अधीन की गई व भविष्य में की जाने वाली सभी सन्धियाँ देश का सर्वोच्च कानून होंगी और प्रत्येक राज्य के न्यायाधीश उससे बाध्य होंगे । '
( 5 ) कठोर संविधान
अमेरिका का संविधान विश्व का सर्वाधिक कठोर संविधान है। क्योंकि साधारण कानून निर्माण की प्रक्रिया व संविधान संशोधन की प्रक्रिया में अन्तर है । संविधान संशोधन की प्रक्रिया अति कठोर है। संविधान की प्रस्तावना व पुष्टि की प्रक्रिया दोनों ही कठोर है तथा संशोधन में 3/4 राज्यों की सहमति की आवश्यकता है। व्यवहार में परिवर्तन करना काफी कठिन है । तभी तो 210 वर्षों में सिर्फ 26 संशोधन ही हुए हैं। कांग्रेस के दोनों सदनों के 2/3 बहुमत तथा राज्यों के 314 बहुमत की आवश्यकता प्रस्तावना व पुष्टि दोनों के लिए आवश्यक है।
( 6 ) गणतंत्रीय व्यवस्था
अमरीका में गणतंत्र की स्थापना की गई है। अमरीकी लोकतंत्र का मुखिया जनता के द्वारा निर्वाचित होता है न कि ब्रिटेन की तरह वंशानुगत अमरीका का अध्यक्ष राष्ट्रपति है जिसका निर्वाचन एक निर्वाचक मण्डल द्वारा होता है । इकाइयों में भी गणतंत्रीय व्यवस्था है। संविधान की धारा 4 में कहा गया है कि, " संयुक्त राज्य की संघ सरकार इस संघ के प्रत्येक राज्य में गणतंत्रीय सरकार की स्थापना की गारण्टी देगी। "
( 7 ) संघीय शासन
विश्व का आदर्श संघ संयुक्त राज्य अमेरिका को माना जाता है । वहाँ फिलाडेल्फिया सम्मेलन द्वारा एक सुदृढ़ व आदर्श संघ की संरचना हुई। आज इसमें 50 इकाइयाँ हैं । यह विश्व को अमरीका की महत्वपूर्ण देन है । इसके अनुसार संघ व इकाइयों के अधिकार क्षेत्र स्पष्ट हैं तथा दोहरा शासन है । न्यूमेन के शब्दों में , " ब्रिटिश संसद को जिस तरह संसदों की जनना कहा जाता है , उसी प्रकार अमरीका को संघात्मक शासन व्यवस्था का जनक माना जा सकता है । " एक आदर्श संघ के सभी लक्षण अमरीकी संघ में विद्यमान हैं ।
( 8 ) प्रतिनिधि शासन
चूंकि अमेरिका जैसे विशाल भू - भाग वाले देश में प्रत्यक्ष प्रजातंत्र को अपनाना संभव न था , अतः यहाँ भी ब्रिटेन , भारत व अन्य देशों की तरह प्रतिनिधि शासन की व्यवस्था है । इसके अन्तर्गत सामान्य जनता अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन करती है । वहाँ प्रतिनिधि मूलक लोकतंत्री यव्यवस्था है।
( 9 ) न्यायिक सर्वोच्चता
अमरीका में न्यायिक सर्वोच्चता का सिद्धान्त अपनाया गया है । वहाँ न्यायपालिका सर्वोच्च , स्वतंत्र व निष्पक्ष है । सभी संघात्मक राज्यों की भाँति अमरीकी सवोच्च न्यायालय का कार्य संविधान की व्याख्या व रक्ष करना है । न्यायिक सर्वोच्चता का तात्पर्य यह है " सर्वोच्च न्यायालय संविधान का उल्लंघन करने वाले कानूनों को अवैध घोषित कर सकता है । " इसी को न्यायिक समीक्षा का अधिकार कहते हैं ।
इसी के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय संघ व राज्य सरकारों को अपने - अपने क्षेत्रों तक सीमित रखता है । 1803 के एक विवाद में मुख्य न्यायाधीश मार्शल ने न्यायिक सर्वोच्चता के सिद्धान्त का प्रतिपादन करते हुए कहा था कि , " सभी प्रकार के कानूनों की संवैधानिकता के परीक्षण का अधिकार सर्वोच्चता न्यायालय को प्राप्त है । "
( 10 ) अध्यक्षीय शासन
ब्रिटेन के ठीक विपरीत अमेरिका में अध्यक्षीय शासन है । अमरीकी संविधान निर्माता मॉण्टेस्क्यू व लॉक के दर्शन से प्रभावित थे व शक्ति विभाजन सिद्धान्त को अपनाना चाहते थे । जिसमें कार्यपालिका विभाग पृथक् व स्वतंत्र रहता है व कार्यपालिका ( राष्ट्रपति ) व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी नहीं रहती । इसमें राष्ट्रपति वास्तविक कार्यपालिका है तथा अपनी , नीतियों व कार्यक्रमों के लिए व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी नहीं रहता ।
वह अपनी ‘ मंत्रिपरिषद् का निर्माण स्वतंत्र रूप से करता है व संसद के सदस्य मंत्री नहीं होते । उसका मंत्रिमण्डल स्वयं का होता है तथा निर्णय उसकी इच्छा से होते हैं , बहुमत के आधार पर नहीं । वह सब प्रकार से शासन का मुखिया व संचालनकर्ता होता है । अपने कार्यकाल के लिए उसे संसद की कृपा पर नहीं रहना पड़ता । इसीलिए वह निश्चित होकर 4 वर्ष तक शासन करता है ।
( 11 ) अवरोध और संतुलन का सिद्धान्त
शक्ति विभाजन के साथ - साथ वे उसकी निरंकुशता से भी परिचित थे । अतः उन्होंने नियंत्रण व संतुलन के सिद्धान्त की व्यवस्था की । साथ ही शासन को सीमित व मर्यादित रखा । वे शक्ति को असीमित नहीं रखना चाहते थे , अतः तीनों को एक - दूसरे पर नियंत्रण रखने के अधिकार दिए । साथ ही संविधान की सर्वोच्चता, अधिकार पत्र की व्यवस्था , शक्ति संतुलन, न्यायपालिका की स्वतंत्रता आदि के माध्यम से सत्ता के दुरुपयोग को रोकने के उपाय किए गए हैं ।
( 12 ) मौलिक अधिकारों की व्यवस्था
शासन को सीमित रखने व नागरिक स्वतंत्रताओं की रक्षा के उपाय के रूप में अमरीकी संविधान में मौलिक अधिकारों की व्यवस्था की गई है । प्रथम 10 संशोधन करते हुए मौलिक अधिकारों की व्यवस्था की गई । नागरिक अधिकारों का लेख - पत्र के रूप में उल्लेख शासन कला को अमरीकी संविधान की एक मुख्य देन है । जिसका अनुसरण जापान , भारत व अन्य देशों द्वारा किया गया है ।
( 13 ) शक्ति - पृथक्करण का सिद्धान्त
अमरीकी संविधान की एक महत्वपूर्ण विशेषता शक्ति - पृथक्ककरण सिद्धान्त भी है । इस सिद्धान्त का अर्थ है कि सरकार के तीनों अंग कार्यपालिका , व्यस्थापिका और न्यायपालिका की शक्तियाँ एक दूसरे से स्वतंत्र हैं । अमेरिका में ऐसा ही है ।
कार्यपालिका संबंधी शक्तियाँ वहाँ राष्ट्रपति के पास हैं, व्यवस्थापिका संबंधी शक्तियाँ कांग्रेस के पास है और न्यायपालिका संबंधी शक्तियाँ सर्वोच्च न्यायालय के पास है । सरकार के ये तीनों अंग स्वतंत्र रहकर कार्य करते हैं । हरमन फाइनर के शब्दों में, " अमरीकी संविधान शक्ति-विभाजन का विवेकपूर्ण तथा वृहद् प्रयास है। "
( 14 ) सीमित शासन का सिद्धान्त
अमरीकी संविधान निर्माता ब्रिटेन के निरंकुश शासन से त्रस्त थे व लॉक के व्यक्तिवादी दर्शन से भी प्रभावित थे तथा शासन को एक न्यास ( Trust ) मात्र मानते थे । जेम्स बैक अनुसार " संविधान निर्माता सरकार की शक्ति से अति सशंक थे । उपनका विश्वास था कि शक्ति जितनी असीमित होगी उसका उतना ही दुरुपयोग होगा । अतः उनके द्वारा शासन को सीमित करने के अनेक उपाय किए गये । यथा - अधिकार पत्र संविधान की सर्वोच्चता , शक्ति पृथक्करण व न्यायपालिका की स्वतंत्रता आदि ।
( 15 ) व्यक्तिवादी दर्शन पर आधारित संविधान
अमरीकी संविधान व्यक्तिवादी दर्शन पर आधारित है । संविधान निर्माता लॉक के व्यक्तिवाद से अत्यधिक प्रभावित थे तथा सम्पत्ति के अधिकार को जीवन व व्यक्ति की स्वतंत्रता के समान ही पवित्र व अनुलंघनीय समझते थे । अतः संविधान में स्वतंत्र आर्थिक नीति को अपनाया गया तथा संविधान में यह उल्लिखित किया गया कि कानून की उचित प्रक्रिया ( Due Process of Law ) के बिना किसी भी व्यक्ति को उसकी सम्पत्ति से वंचित नहीं किया जा सकता ।
इसके अतिरिक्त दोहरी नागरिकता व कुछ महत्वपूर्ण बातों को छोड़ना आदि इसकी अन्य विशेषतायें हैं । अमरीकी संविधान की ये विशेषतायें यद्यपि सर्वथा नवीन नहीं कहीं जा सकती , किन्तु फिर भी इसकी कुछ बातें मौलिक व महत्वपूर्ण मानी जा सकती हैं।
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