पर्यावरण मनोविज्ञान का इतिहास || History of Environmental Psychology
मानवीय व्यवहार पर पड़ने वाले पर्यावरणीय प्रभाव का अध्ययन मनोवैज्ञानिकों ने मनोविज्ञान के प्रारम्भिक काल से ही किया है। उदाहरणार्थ 19वीं शताब्दी के मनोभौतिक विद्वानों ने प्रकाश, दाब एवं स्पर्श आदि पर्यावरणीय उद्दीपकों के प्रत्यक्षीकरण का टेस्ट किया। 20वीं शताब्दी में जब व्यवहारवादी मनोविज्ञान की स्थापना हुई, तब मनोवैज्ञानिकों के पुनर्वलन अनुसूची तथा बाल्यकाल के प्रारम्भिक दिनों में प्राप्त होने वाले परिवेश जैसे पर्यावरणीय घटनाओं का मानव में अधिगम एवं सामाजिक अन्तः क्रिया पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया।
1950 के दशक में वास्तुकार तथा व्यवहार वैज्ञानिक एक साथ मिलकर एक भिन्न उद्देश्य हेतु कार्य करना प्रारम्भ किये, जो पर्यावरणीय मनोविज्ञान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया।
प्रोशांस्की, इटल्सन एवं रिवलिन (1970) तथा सोभर एवं आस्मण्ड (1961) ने बताया कि मनोविज्ञान की एक महत्वपूर्ण शाखा के रूप में पर्यावरण मनोविज्ञान (Environmental Psychology) का प्रारम्भ उस समय हुआ जब मानसिक रोगियों के उपचार पर, मानसिक चिकित्सकों के कमरों की बनावट, दीवालों तथा पर्दो के रंग और साज-सज्जा के पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन शोधकर्ताओं ने किया। प्रोशांरकी तथा आल्टमैन (1979) के अनुसार सर्वप्रथम पर्यावरण मनोविज्ञान (Environmental Psychology) के सम्प्रत्यय का प्रयोग 1964 में एक सम्मेलन में उक्त विषय वस्तु के विवेचन के समय किया गया।
पर्यावरणीय मनोविज्ञान (Environmental Psychology) के विस्तार के फलस्वरूप कई पाठ्य-पुस्तकें, पत्रिकाएं संदर्भ-पुस्तकें प्रकाशित हुईं तथा विश्व के कई विश्वविद्यालयों में में मनोविज्ञान विषय के पाठ्यक्रम में पर्यावरण मनोविज्ञान (Environmental Psychology) को एक स्वतन्त्र विषय के रूप में स्थान दिया, जिसमें सर्वप्रथम स्थान न्यूयार्क के सिटी विश्वविद्यालय का है, जिसने अपने पाठ्यक्रम में पर्यावरण मनोविज्ञान को एक स्वतन्त्र विषय के रूप में रखा। इसके बाद पर्यावरण मनोविज्ञान से सम्बन्धित अनेक शोध पत्रिकाएं प्रकाशित हुई।
वर्तमान समय में भारतीय विश्वविद्यालयों में भी पर्यावरणीय मनोविज्ञान एक स्वतंत्र प्रश्नपत्र के रूप में पढ़ाया जाने लगा है। गोरखपुर विश्वविद्यालय में तो मनोविज्ञान विषय के अन्तर्गत पर्यावरणीय मनोविज्ञान (Environmental Psychology) को द्वितीय प्रश्न-पत्र के रूप में स्थान दिया गया है।