योजना विधि के गुण एवं दोष || Merits and demerits of planning method

योजना विधि के गुण एवं दोष || Merits and demerits of planning method

योजना विधि के गुण ( Merits of Planning Method )

(1) योजना पद्धति के द्वारा छात्रों में उत्तम सामाजिक गुणों एवं आदतों का विकास किया जाता है जिससे वे समाज की स्थितियों को सुधारने में सहायक हों तथा सफलतापूर्वक जीवन व्यतीत कर सकें। इसके द्वारा छात्रों में व्यावहारिक गुणों का विकास होता है जिससे उनका व्यावहारिक जीवन सफल हो सके।

(2) इसके द्वारा पाठ्यक्रम में एकीकरण स्थापित किया जाता है और विभिन्न स्थितियों में सरलता से समन्वय स्थापित किया जा सकता है।

(3) इसके द्वारा रहने की प्रवृत्ति को निरुत्साहित किया जाता है और छात्रों को चिन्तन, तर्क तथा निर्णय के आधार पर समस्या समझाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इस प्रकार उनमें स्वाध्याय की आदत का निर्माण होता है।

(4) यह पद्धति सीखने के सिद्धान्तों पर आधारित है, इसलिए यह विधि मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों के अनुकूल है।

(5) बालकों में इस विधि द्वारा सतत प्रयत्नशीलता तथा रचनात्मक सक्रियता का विकास होता है।


योजना विधि के दोष ( Demerits of Planning Method )


(1) इस विधि के द्वारा शिक्षण करने से ज्ञान खण्डों में विभाजित करके प्रदान किया जाता है अर्थात् इसके द्वारा क्रम तथा तारतम्य के साथ प्रदान नहीं किया जाता है।

(2) यह विधि बहुत व्ययपूर्ण है। इसके प्रयोग के लिए विभिन्न उपकरणों, उपादानों, साधनों, पुस्तकों, पत्रिकाओं आदि की आवश्यकता है।

(3) इस पद्धति द्वारा शिक्षण करने में बहुत समय लगता है। नागरिकशास्त्र को इतना समय, समय तालिका से प्राप्त नहीं होता।

(4) इस विधि के विरुद्ध एक आक्षेप यह भी लगाया जाता है कि इसके प्रयोग से शिक्षालय का सम्पूर्ण कार्य निष्क्रिय हो जाता है।


योजना विधि के प्रकार ( Types of Planning Method )


शैक्षिक क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की योजनाओं का निर्माण कर विद्यार्थियों को सक्रिय ज्ञान प्रदान किया जाता है।


1. निर्माण सम्बन्धी योजना यथा-संग्रहालय, यन्त्रों का निर्माण आदि से सम्बन्धित योजनाएँ।

2. उपभोक्ता योजना कृषि, बागवानी आदि।

3. शल्य-कार्य सम्बन्धी योजना यथा जीव-जन्तु आदि को काटकर उनके आन्तरिक अंगों के अध्ययन सम्बन्धी योजनायें।

4. समस्यात्मक योजना यथा- स्वास्थ्य में सुधार आदि।

5. पहचान सम्बन्धी योजना जैसे जीव-जन्तु के वर्ग तथा श्रेणी सम्बन्धी योजनायें आदि।

6. संग्रह सम्बन्धी योजना यथा विभिन्न स्थानों से भिन्न-भिन्न प्रकार के चित्र, प्रतिरूप आदि के संग्रह सम्बन्धी योजनायें।

7. निरीक्षण सम्बन्धी योजना- इसमें भ्रमण आदि के द्वारा विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न प्रकार के जीव-जन्तु वनस्पति आदि की विशेष योग्यता के निरीक्षण हेतु योजनाएँ।


योजना विधि की विशेषताएँ ( Characteristics of Planning Method )


(i) इस विधि में विद्यार्थी स्वयं चिन्तन करके पढ़ते हैं तथा कार्य करते हैं।

(ii) योजना विधि 'करके सीखने' के सिद्धान्त पर आधारित है।

(iii) इस विधि से प्राप्त ज्ञान स्थायी होता है।

(iv) योजना विधि द्वारा विभिन्न विषयों में समन्वय स्थापित होता है।

(v) यह एक मनोवैज्ञानिक विधि है।

(vi) इसमें विद्यार्थी अधिक क्रियाशील रहते हैं।

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