समूह शिक्षण - Group Teaching
समूह शिक्षण का अर्थ
विभिन्न विद्वानों ने इसे अलग-अलग ढंग से परिभाषित किया है- कार्लो ओलसन ने इसे विस्तृत रूप से परिभाषित करते हुए लिखा है- " समूह शिक्षण वह शिक्षण परिस्थिति है जिसमें दो या दो से अधिक अध्यापक छात्रों के किसी एक समूह के लिए मिलकर योजना बनाते हैं तथा लचीली समय सारिणी एवं समूहन प्रविधि का उपयोग करते हुए शिक्षण क्रिया का सम्पादन करते हैं।"
समूह शिक्षण की परिभाषा
डेविड वार्षिक के अनुसार" समूह शिक्षण एक प्रकार की व्यवस्था है जिसमें अध्यापक अपने छात्रों की आवश्यकतानुसार एवं विद्यालय की सेवाओं के अनुरूप कार्य योजना बनाने एवं उसे क्रियान्वित करने हेतु संसाधनों, अभिरुचियों एवं दक्षताओं का संचयन करते हैं।"
शिक्षा विश्वकोश में समूह शिक्षण का अर्थ है- "शिक्षण का कोई भी रूप जिसमें दो या दो से अधिक शिक्षक, निरन्तर और उद्देश्यपूर्ण ढंग से किसी एक छात्र समूह के लिए पाठों का आयोजन- प्रस्तुतीकरण तथा मूल्यांकन के उत्तरदायित्व का निर्वाहन करते हैं। वह समूह या दल शिक्षण कहलाता है।"
समूह शिक्षण की विशेषताएँ
1. समूह शिक्षण कक्षा शिक्षण की नीति/विधि है, प्रशिक्षण नीति नहीं।
2. इस प्रक्रिया में दो या दो से अधिक शिक्षक भाग लेते हैं।
3. समूह शिक्षण सहकारिता/सहयोग पर आधारित है। इसमें सहभागी समस्त शिक्षक अपने संसाधनों, योग्यताओं एवं अनुभवों को प्रयुक्त करते हैं। अतः इसे सहकारी शिक्षण भी कह सकते हैं।
4. समूह शिक्षण में अध्यापक मिलकर शैक्षिक नियोजन करते हैं, उसे क्रियान्वित करते हैं तथा मूल्यांकन भी करते हैं।
5. समूह शिक्षण प्रक्रिया में छात्रों एवं विद्यालयों की आवश्यकताओं के अतिरिक्त उपलब्ध संसाधनों का भी ध्यान रखा जाता है।
6. समूह शिक्षण में एक विषय विशेष के किसी प्रकरण के विभिन्न पक्षों को बारी-बारी से दो या उससे अधिक अध्यापक पढ़ाते हैं।
7. समूह शिक्षण में अध्यापकों के बीच पृथक्ता दूर होती है।
8. इस प्रक्रिया में सम्मिलित उत्तरदायित्व के सिद्धान्त का पालन होता है। दायित्व किसी एक अध्यापक के ऊपर नहीं, वरन् सभी के द्वारा वहन किया जाता है।
समूह शिक्षण के उद्देश्य
1. अध्यापकों की योग्यताओं, अभिरुचियों, दक्षताओं एवं अनुभवों का सर्वोत्तम उपयोग करना।
2. छात्रों की रुचियों एवं क्षमताओं के अनुरूप कक्षा शिक्षण को प्रभावशाली बनाना।
3. शिक्षण क्रिया की गुणवत्ता में सुधार लाना।
4. शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में सहयोग की भावना का विकास करना।
5. छात्र समूहों के विभाजन में लचीलेपन को स्थान् देना। इस प्रकार किसी विषय विशेष के छात्रों को उनकी रुचियों एवं अभिवृत्तियों के अनुरूप समूहों में बांटा जाता है और सभी की आवश्यकताओं की पूर्ति हो पाती है।
6. संयुक्त उत्तरदायित्व की भावना का विकास करना।
7. दोषपूर्ण शिक्षण की सम्भावना को न्यूनतम करना।
समूह शिक्षण के सिद्धान्त
समूह शिक्षण कुछ सामान्य सिद्धान्तों पर आधारित है जो इसके संगठन में सहायक सिद्ध होते हैं-
1. समय घटक -
समूह शिक्षण की अवधि का निर्धारण विषय के महत्त्व के आधार पर है।
2. शिक्षण का स्तर -
छात्रों को शिक्षण देने से पूर्व उनके प्रारम्भिक व्यवहार का आकलन तथा उसी के आधार पर शिक्षण स्तर का निर्धारण किया जाना चाहिए। वास्तव में यही समूह शिक्षण का आधार है।
3. आकार एवं संयोजन-
समूह शिक्षण के उद्देश्यों के अनुरूप कक्षा के आकार का निर्धारण। उदाहरणार्थ - यदि समूह शिक्षण का उद्देश्य विषय वस्तु के किसी विशेष प्रकरण सम्बन्धी कठिनाइयों को दूर करना है तो स्वाभाविक है कि समूह उन छात्रों का ही होगा जिनकी कठिनाइयाँ एक समान होंगी।
4. निरीक्षण -
समूह शिक्षण का उद्देश्य अध्यापकों की दक्षता के आधार पर छात्रों को विषय- वस्तु का पूर्ण ज्ञान कराना है। अतः किसी अवधारणा या प्रकरण के सभी भवन हेतु निरीक्षित अध्ययन आवश्यक है। निरीक्षण की प्रकृति एवं अवधि समूह शिक्षण के उद्देश्यों पर आधारित होंगी।
5. दल के अध्यापकों का कार्य निर्धारण
समूह शिक्षण का यह महत्त्वपूर्ण पक्ष है कि दल के शिक्षकों में कार्यों एवं दायित्वों का विभाजन समुचित हो और यह विभाजन शिक्षक की शैक्षिक योग्यताओं, रुचियों तथा व्यक्तित्व गुणों के आधार पर होना चाहिए।
समूह शिक्षण के प्रकार
समूह शिक्षण का वर्गीकरण उसके संगठन के आधार पर किया जाता है-
1. एक ही विभाग के शिक्षकों का समूह ऐसी व्यवस्था प्रमुखतः माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षण में की जाती है और यह तभी सम्भव है, जब एक विषय हेतु बहु शिक्षक व्यवस्था हो। इंग्लैण्ड तथा अमेरिका में विज्ञान, अंग्रेजी एवं सामाजिक विषय के प्रभावशाली शिक्षण हेतु इस व्यवस्था पर अनेक प्रयोग किये गये हैं।
2. एक संस्था के विभिन्न विभागों के शिक्षकों का दल यह वर्गीकरण प्रशिक्षण संस्थाओं में संगठित होती है। इसके अन्तर्गत विभिन्न विषयों; जैसे- मनोविज्ञान, दर्शनशास्त्र एवं सांख्यिकी विभागों के शिक्षकों को बी०एड०, एम०एड० के छात्र समूहों को शिक्षण देने हेतु आमन्त्रित किया जा सकता है। यह प्रक्रिया शिक्षण में अन्तर विषयी उपागम को प्रोत्साहन देती है।
3. विभिन्न संस्थाओं के एक ही विभाग के शिक्षकों का दल समूह शिक्षकों के दल को संगठित करने की यह विधि शिक्षा के सभी स्तरों पर उपयोगी है। इसके अन्तर्गत बिक्री एक विषय के विशेषज्ञों को विभिन्न संस्थानों से आमन्त्रित करते हैं।
यह उन विद्यालयों के छात्रों के लिए अत्यन्त लाभकारी है, जहाँ एकल अध्यापक व्यवस्था है। यह समूह शिक्षण सहकारी शिक्षण को प्रोत्साहित करता है। इस प्रविधि का प्रयोग वहाँ अधिक सुगम होता है जहाँ एक ही मुहल्ले में दो या दो से अधिक संस्थाएँ (सामान्य/प्रशिक्षण) हो।