प्रयोगात्मक मनोविज्ञान का स्वरूप (Nature of Experimental Psychology)
मनोविज्ञान के इतिहास से स्पष्ट है कि मनोविज्ञान में वैज्ञानिकता की उत्पत्ति और विकास प्रयोगात्मक मनोविज्ञान की उत्पत्ति और विकास से सम्बन्धित है। प्रयोगात्मक मनोविज्ञान आधुनिक मनोविज्ञान की एक महत्वपूर्ण शाखा है। मनोविज्ञान की अन्य शाखाओं का वर्गीकरण उनकी विशिष्टता और विषय-वस्तु के आधार पर किया गया है परन्तु प्रयोगात्मक मनोविज्ञान व्यवहार के प्रयोगात्मक अध्यन पर निर्भर करता है और यह अध्ययन सार्वभौमिक अध्यचन है। मनोविज्ञान की समस्याओं का अध्ययन यदि अन्य विधियों द्वारा किया जाये तो प्राप्त प्रदत्तों, नियमों और निष्कर्षों को प्रयोगात्मक मनोविज्ञान में सम्मिलित नहीं किया जायेगा।
सामान्य प्रयोगात्मक मनोविज्ञान की विषय-वस्तु और सामान्य मनोविज्ञान की विषय-वस्तु एक समान है क्योंकि दोनों ही शाखाओं में जीवित प्राणी के सभी मौलिक व्यवहारों का अध्ययन तथा विश्लेषण होता है। इसमें, सामान्य मनोवैज्ञानिक क्रियाओं के अध्ययन को सम्मिलित किया जाता है। यह सामान्य मनोवैज्ञानिक क्रियाएँ एक विशेष प्रकार के वातावरण से सम्बन्धित न होकर सभी प्रकार के वातावरण से सम्बन्धित हो सकती हैं।
दोनों मनोविज्ञानों में अन्तर केवल यही है कि प्रयोगात्मक मनोविज्ञान का स्वरूप लेषणात्मक होता है और सामान्य मनोविज्ञान का स्वरूप संश्लेषणात्मक होता है। केन्डलैण्ड के अनुसार, "प्रयोगात्मक मनोविज्ञान का कार्य व्यवहार का वर्णन करना औ व्यवहार के राम्बन्ध में पूर्व कथन करना है, यह दोनों कार्य प्रायोगिक सिद्धान्तों पर आधारित है।" उपर्युक्त वर्णन के आधार पर कहा जा सकता है कि प्रयोगात्मक मनोविज्ञान अनिक मनोविज्ञान की एक शाखा है जिसमें जीवित प्राणियों के समस्त व्यवहार का वर्णन झार व्यवहार के सम्बन्ध में पूर्व कथन प्रयोगात्मक विधि या सिद्धान्तों पर अधिर्धारित होता है।
इसका मुख्य उद्देश्य सैद्धान्तिक है तथा गौण उद्देश्य व्यावहारिक है। प्रयोगात्मक विधि का उपयोग मनोविज्ञान की अन्य शाखाओं से सम्वन्धित समस्याओं के अध्ययन में भी होता है, परन्तु यह सभी प्रयोग प्रयोगात्मक मनोविज्ञान से सम्बन्धित नहीं होते हैं। प्रयोगात्मक मनोविज्ञान में प्रयोगात्मक विधि द्वारा किये गये इन्हीं अध्ययनों को सम्मिलित किया जाता है जिनका उद्देश्य जीवित प्राणी के व्यवहार का वर्णन, विवेचना तथा पूर्व कथन से सम्बन्धित होता है।
प्रयोगात्मक मनोविज्ञान का क्षेत्र
प्रयोगात्मक मनोविज्ञान का क्षेत्र उतना ही अधिक विस्तृत है जितना कि आधुनिक मनोविज्ञान का क्षेत्र है। इतना होते हुए भी आधुनिक मनोविज्ञान में ऐसी अभी भी बहुत-सी यह जिनका अध्ययन प्रयोगात्मक विधि द्वारा राम्भव नहीं हुआ है। जैसे पहले बताया जा चुका है कि प्रारम्भ के प्रयोगात्मक मनोविज्ञान का सम्बन्ध केवल प्रत्यक्षीकरण और प्रतिक्रियाकाल से सम्बन्धित समस्याओं से था। परन्तु विज्ञान की उन्नति के साथ-साथ इसका विकास भी होता गया और डूस क्षेत्र में भी उसी रूप में बढ़ता चला गया।
प्रयोगात्मक मनोविज्ञान का क्षेत्र मानव-व्यवहार के अध्ययन तक ही सीमित नहीं है बल्कि पशु व्यवहार के अध्ययन से भी सम्बन्धित है। आजकल के पशु मनोविज्ञान विशेषज्ञों तथा शरीर मनोविज्ञान विशेषज्ञों के अध्ययन केवल प्रत्यक्ष व्यवहार के अध्ययनों तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि इस प्रकार के व्यवहार के अन्तर्निहित कारकों के अध्ययन से भी सम्बन्धित है। प्रयोगात्मक मनोविज्ञान के कुछ अध्ययनों में चीरफाड़ या आपरेशन भी किये जाते हैं। बहुधा यह आपरेशन बन्दर, चूहे, बिल्ली, कुत्ते आदि पशुओं पर किये जाते हैं और सम्बन्धित व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।
प्रयोगात्मक मनोविज्ञान और सामान्य मनोविज्ञान एक-दूसरे से सम्बन्धित होते हुए भी एक-दूसरे से पूर्णतः भिन्न हैं। वास्तव में यह दोनों ही मनोविज्ञान की दो अलग-अलग महत्वपूर्ण शाखाएँ हैं।