Macbeth by William Shakespeare in Hindi
( Act 1) पहला अंक ( Scene 1) दृश्य 1
[एक निर्जन स्थान]
[बादलों की गड़गड़ाहट के बीच बिजली चमकती है । तीन डायनों का प्रवेश]
पहली डायन : ऐसे समय में जब गड़गड़ाहट करते बादलों के बीच बिजली फट रही हो और पानी बरसता हो, हम तीनों फिर कब मिलेंगी ?
दूसरी डायन : उसी समय जब यह युद्धनाद शांत हो कर, यह घोषणा हो जाए कि कौन जीत गया और कौन हार गया ।
तीसरी डायन : पर वह तो सूरज छिपने से पहले हो जाएगा ।
पहली डायन : पर हाँ, मिलेंगे कहाँ ?
दूसरी डायन : उसी उजाड़ में ।
तीसरी डायन : वहाँ तो हमें मैकबेथ भी मिलेगा न ?
पहली डायन : आई, ग्रेमल्किन1 ।
दूसरी डायन : पैडोक2 मेरे पीछे पुकार रहा है ।
तीसरी डायन : अभी एक क्षण में ।
सभी : जिसमें दूसरों की भलाई है उससे हमें घृणा है और जिससे वे बुरा समझ कर घृणा करते हैं वही हमारे लिए अच्छा है । आओ, कोहरे और धुंध-भरी हवा में हो कर उड़ चलें ।
[सभी जाती हैं]
( Scene 2 ) दृश्य 2
[फौरेस के निकट एक शिविर]
[अन्दर तूर्य ध्वनि । सम्राट् डंकन, मैलकॉम, डोनलबेन, लैनोक्स का अनुचरों के साथ प्रवेश । खून से भीगा हुआ सार्जेण्ट आता है]
डंकन : कौन है यह, जो इस तरह खून से भीगा हुआ है । उसकी दयनीय अवस्था से लगता है कि वह अभी रणभूमि से लौटा है । उससे हमें विद्रोहियों के बारे में नवीनतम परिस्थिति का अवश्य कुछ पता लगेगा ।
मैलकॉम : अरे, यह तो वही सार्जेण्ट है जो एक वफादार वीर सैनिक की तरह मुझे बन्दी होने से बचाने के लिए लड़ा था । स्वागत है, मेरे पराक्रमी मित्र ! जिस समय तुम रणभूमि से चले थे उस समय युद्ध की क्या स्थिति थी, सम्राट् यह तुमसे जानना चाहते हैं ।
सार्जेण्ट : अभी से कुछ निश्चित नहीं कहा जा सकता, स्वामी ! दोनों सेनाओं के बीच अभी वैसा ही संघर्ष जारी है जैसा होड़ में बढ़ते दो तैराक में होता है । जो जब पूरी तरह थक जाते हैं तो आपस में लिपटकर एक-दूसरे की चालों को काटने की कोशिश करते हैं । एक निर्दय मेकडोनवाल्ड ने, जिसमें दुष्टता प्रतिदिन बढ़ती जाती है और जो स्वभाव से ही विद्रोही है, आयरलैण्ड से हल्के शस्त्रों से सुसज्जित सेनाएँ और पश्चिमी द्वीपों से, भारी शस्त्रों से सुसज्जित अश्वारोही बुलवा लिए हैं । लेकिन कुछ भी हो, वीर मैकबेथ के सामने वे सब कायर हैं । वे साक्षात् देवी वीरता के पुत्र हैं । मैंने देखा कि भाग्य को उपेक्षा-भरी दृष्टि से देखते हुए और अपनी तलवार घुमाकर मार-काट करते हुए जिस तरह उन्होंने शत्रु के सीने तक पहुँचने का मार्ग बना लिया था, उससे सच ही वे वीर कहलाने के अधिकारी हैं । वे तब तक वहाँ से नहीं हटे, जब
तक उन्होंने शत्रु के जबड़े तक नहीं काट दिए और उसके सिर को काटकर हमारे मोर्चे की मुंडेर पर नहीं टाँग दिया ।
डंकन : ओ मेरे वीर भाई ! मेरे योग्य और समर्थ साथी !
सार्जेण्ट : जैसे सूरज के छिपते-छिपते कभी ऐसे भयानक तूफ़ान उठते हैं जो जहाज़ों को उलटते हुए चले जाते हैं और फिर उसी भयावने स्वर में गर्जन करते हैं, उसी तरह जहाँ लगता था कि अब कुछ सुख-चैन से बैठेंगे, वहाँ एक के ऊपर एक तूफ़ान-सा आता ही जाता था । ओ स्कॉटलैण्ड के स्वामी ! मेरी बात ध्यान से सुनो । हमारे उन वीर सैनिकों ने जिनकी रग-रग में वीरता और न्याय का खून दौड़ रहा है, उस भगोड़ी और हल्के शस्त्रों से सुसज्जित सेना को ऐसा खदेड़ा कि वह सिर पर पैर रखकर भाग जाने के लिए उतारू हो गई । पर उसी समय नॉर्वे के राजा ने अवसर देखकर अपने चमकते हुए शस्त्रों से तथा और नई सेनाएँ बुलाकर हम पर अकस्मात् हमला कर दिया ।
डंकन : पर क्या इस पर हमारे सेनापति मैकबेथ और बैंको का खून नहीं खौला ?
सार्जेण्ट : अवश्य ! उनका खून उसी तरह चढ़ गया जैसे बाज़ का गौरैया देखकर और शेर का एक खरगोश देखकर चढ़ जाता है । मैं यही कहूँगा, स्वामी ! कि दूनी बारूद से लदी तोपों की तरह दूनी ताकत के साथ वे शत्रु की सेना पर टूट पड़े । कौन जाने कि वे अपने घावों से बहते गरम खून में नहाने के लिऐ कूदे थे या इसे एक दूसरा गोलगोथा बनाना चाहते थे । मैं नहीं समझता इसके अलावा उनका और कोई तात्पर्य था । लेकिन में इतना थक गया हूँ और मेरे शरीर पर घाव भी हैं, जिससे मुझे बेहोशी-सी चढ़ी आ रही है । मेरे घाव चिकित्सा के लिए बेचैन-से हो रहे हैं, स्वामी !
डंकन : आह ! तुम्हारे शरीर में जैसे घाव हैं उन्हीं के योग्य तुम्हारे वीरता से भरे हुए शब्द हैं; दोनों ही महान् सम्मान के योग्य हैं । (अनुचरों से) जाओ, सार्जेण्ट की चिकित्सा की तुरन्त व्यवस्था करो ।
(अनुचरों के साथ सार्जेण्ट जाता है)
[रौस का प्रवेश]
रौस : कौन आ रहा है यहाँ ?
मैलकॉम : रौस, श्रेष्ठ ‘थेन’ हैं ।
लैनोक्स : उनकी आँखों में कैसी उतावली मालूम हो रही है । ठीक भी है, जो व्यक्ति अजीब-अजीब घटनाओं की सूचना देने आता है वह ऐसा ही
दीखता है ।
रौस : ईश्वर सम्राट् की रक्षा करें !
डंकन : कहाँ से आ रहे हैं आप, श्रेष्ठ थेन ?
रौस : हे, महान् सम्राट् ! मैं फाइफ से आ रहा हूँ, जहाँ आकाश में नॉर्वे का झंडा फहरा रहा है । नॉर्वे के राजा ने हृदय को हिला देने वाली एक विशाल सेना लेकर और उस धोखेबाज और गद्दार काउडोर के थेन की सहायता लेकर घमासान युद्ध प्रारम्भ कर दिया । तब देवी बेलीना के प्रिय उसी मैकबेथ ने अपना कवच पहना और वह शत्रु के बीच कूद पड़ा । मैं क्या कहूँ शत्रु की तलवार से तलवार और हाथ से हाथ टकराकर उसने इस तरह सामना किया कि शत्रु अपनी सारी वीरता भूल गया और अंत में हमारी विजय हुई ।
डंकन : आह ! महान् हर्ष !
रौस : अब इसी कारण नॉर्वे का राजा स्वेनो संधि के लिए प्रार्थना कर रहा है । लेकिन हम उसके साथियों की लाशों को ज़मीन में तब तक नहीं दफनाने देंगे जब तक वह ‘सेण्ट कॉम्स इञ्च’1 पर दस हज़ार डॉलर हमारे बीच न बाँट दे ।
डंकन : उस काउडोर के थेन को मैं अब तक हृदय से अपना मित्र समझता था, पर अब और अधिक वह मुझे धोखे में नहीं रख सकेगा । जाओ, और उसके मृत्यु-दण्ड की चारों ओर घोषणा कर दो और मैकबेथ को अपना पूर्व पद देकर सम्मानित कर दो ।
रौस : आपकी आज्ञा का पालन होगा, स्वामी !
डंकन : ठीक है, जो उसने खोया, श्रेष्ठ मैकबेथ ने पा लिया है ।
(प्रस्थान)
Macbeth ki kahani in hindi.
( Scene 3 ) दृश्य 3
[फौरेस के निकट उजाड़ भूमि]
[बादल गरजते हैं । तीनों डायनें आती हैं]
पहली डायन : कहाँ रहीं, बहिन ?
दूसरी डायन : सूअर के घंटे को मार रही थी ।
तीसरी डायन : पर तुम कहाँ थीं, बहिन ?
पहली डायन : एक मल्लाह की स्त्री, अपनी झोली में कुछ अखरोट लिए हुए थी जिन्हें वह चबाती थी, फिर चबाती थी, और चबाती ही जाती थी । मैंने कहा, ‘मुझे भी दे दो’ तो बची-खुची जूठन पर पली उस भूखी और घृणित स्त्री ने झिड़ककर कहा, ‘भाग जा, ओ डायन ! भाग जा !’ उसका पति
‘टाइगर’ नामक जहाज़ का मालिक है और अब एलैप्पी गया हुआ है । लेकिन क्या हुआ ! मैं एक चलनी में बैठकर उधर जाऊँगी और बिना पूँछ वाली एक चुहिया की शक्ल बनाकर मैं करूँगी, करूँगी, अवश्य कुछ न कुछ करूँगी ।
दूसरी डायन : मैं तुम्हें एक हवा दूँगी ।
पहली डायन : बड़ी दयालु हो तुम ।
तीसरी डायन : और मैं भी एक दूसरी हवा दूँगी ।
पहली डायन : इसके अलावा सभी हवाएँ मेरे पास हैं । मल्लाहों का कुतुबनुमा जो भी दिशा दिखाता है, उधर ही वे वेग से बहती हैं, यहाँ तक कि बन्दरगाहों के अन्दर तक घुस जाती हैं । मैं उसके शरीर के सारे खून को चूसकर घास की तरह उसे सुखा डालूँगी जिससे, न रात और न दिन में, कभी भी वह पलक तक बन्द नहीं कर सकेगा । मैं उसे एक ऐसे जादू में बाँध दूँगी की 81 हफ्तों तक दु:ख में घुल-घुलकर वह एक दिन बिलकुल मिट जाएगा । यद्यपि मैं उसके जहाज़ को डूबा नहीं सकती, पर फिर भी वह तूफ़ानों के थपेड़े खाता हुआ इधर-उधर डूबता-उतराता ही रहेगा । यह देखी, मेरे पास क्या है ?
दूसरी डायन : दिखाओ, दिखाओ !
पहली डायन : मेरे पास एक ऐसे मल्लाह का अँगूठा है जो घर लौटते समय तूफ़ान में फँस गया और समुद्र की उठती हुई लहरें उसे निगल गईं ।
[अन्दर नक्कारों की आवाज़]
तीसरी डायन : अरे, नक्कारा, सुनो, नक्कारा बज रहा है । लो, वह मैकबेथ आ गया ।
सभी : ओ, समुद्र की लहरों और पृथ्वी पर तेज़ चलने वाली डायन बहनो ! आओ, आपस में हाथ मिलाकर हम चारों तरफ नाचें । तीन बार तुम, तीन बार मैं और फिर तीन बार वह, इस तरह नौ बार एक चक्कर बनाएँ ।...शान्त ! जादू का चक्कर अब पूरा हो गया है ।
[मैकबेथ तथा बैंको का प्रवेश]
मैकबेथ : इतना बुरा और इतना ही अच्छा दिन मैंने अपने जीवन में कभी नहीं देखा !
बैंको : फौरेस यहाँ से कितनी दूर कहा जाता है ?
पर, हैं? ये पतले और अजीब-से कपड़े पहने कौन हैं ? ये तो पृथ्वी पर रहने वाले प्राणियों जैसी तो नहीं लगतीं, फिर भी पृथ्वी पर हैं । क्या आश्चर्य है !
क्या तुम कोई जीवित प्राणी हो ? कोई ऐसी चीज़ हो जिस पर मनुष्य को शक करना चाहिए ? अपनी फटी उँगली जिस तरह तुमने अपने होंठ पर रख ली है, उससे मालूम होता है कि तुम मेरी बात समझ रही हो । अवश्य तुम कोई स्त्री हो, पर हैं… फिर तुम्हारी दाढ़ी देख कर मैं कैसे कह दूँ कि तुम स्त्री हो !
मैकबेथ : अगर तुम बोल सकती हो तो बोलो, कौन हो तुम ?
पहली डायन : तुम्हारा स्वागत है, मैकबेथ । ओ ‘ग्लेमिस’ के थेन ! हम सबकी ओर से तुम्हारा स्वागत है ।
दूसरी डायन : ओ काउडोर के थेन, मैकबेथ ! हम सभी की ओर से तुम्हारा अभिनन्दन है ।
तीसरी डायन : स्वागत है उस मैकबेथ का, जो अब सम्राट् बनने जा रहा है ।
बैंको : क्यों जनाब, ऐसी अच्छी-अच्छी बातें सुनकर भी आप इस तरह बेचैन होकर डर क्यों रहे हैं ?
(डायनों से) मैं सत्य के नाम पूछता हूँ कि तुम कोई हवाई चीज़ हो या जो कुछ बाहर से दिखाई दे रही हो, वही वास्तव में हो ? तुम मेरे साथी का, उस वर्तमान पद और यश के लिए अभिनन्दन कर रही हो और उच्चाधिकारी, यहाँ तक कि सम्राट् होने तक की भविष्यवाणी करके उसका स्वागत कर रही हो । इससे वह कुछ उन्मत्त-सा हो उठा है । यदि तुम भविष्य की बात देख सकती हो और यह बता सकती हो कि आगे क्या होगा और क्या नहीं, तो फिर मुझसे भी कहो, मुझसे जो न तुम्हारी कृपा की भीख माँगता है और न तुम्हारी घृणा से तनिक भी डर सकता है ।
पहली डायन: स्वागत है!
दूसरी डायन: स्वागत है!
तीसरी डायन: स्वागत है!
पहली डायन : मैकबेथ से कम और उससे अधिक भी ।
दूसरी डायन : इतना सुखी नहीं, फिर भी उससे कहीं अधिक सुखी ।
तीसरी डायन : यद्यपि तुम कभी नहीं होगे, फिर भी तुम्हारे पुत्र सम्राट् होंगे । इसलिए, मैकबेथ और बैंको का हम सभी की ओर से स्वागत है !
पहली डायन : सभी की ओर से मैकबेथ और बैंको का अभिनन्दन है ।
मैकबेथ : ठहरो, ओ झूठी बातें बनाने वाली, जादूगरनियो ! कुछ और भी कहो । सिनेल की मृत्यु के कारण मैं जानता हूँ कि मुझे ग्लेमिस का थेन बना दिया गया है, लेकिन काउडोर का थेन कैसे ? वह गौरवशाली काउडोर
का थेन तो अभी जीवित है और फिर सम्राट् होना…क्या इसकी मैं कभी कल्पना भी कर सकता हूँ ? इसी तरह काउडोर का थेन होना भी मेरे विश्वास के परे की बात है । बोलो, कहाँ से यह अजीब-सी बात तुमने सुनी है ! या इस उजाड़ में इस तरह भविष्यवाणी करके तुमने हमारा मार्ग रोकने का षड्यन्त्र किया है ? बताओ, मैं आज्ञा देता हूँ, बोलो ।
[डायनें लुप्त हो जाती हैं]
बैंको : मुझे लगता है, जैसे पानी में बबूले होते हैं वैसे ही ज़मीन में भी होते हैं और ये उन्हीं बबूलों की बनी हुई हैं । अरे, हैं ! कहाँ छिप गईं ये सभी !
मैकबेथ : हवा में, जो अभी शरीर धारण किए हुए थीं, वे हवा में इस तरह विलीन हो गई हैं जैसे मनुष्य की श्वासें निकलकर जाती हैं । काश ! वे थोड़ा और ठहर जातीं तो कितना अच्छा होता ।
बैंको : जिनके बारे में हम अभी बातें कर रहे थे, क्या ऐसे भी प्राणी इस पृथ्वी पर होते हैं ? या हमने मूर्खता लाने वाली कोई ऐसी जड़ी खा ली है जिससे हमारी विचार-शक्ति पर ताला-सा पड़ गया है ।
मैकबेथ : तुम्हारे पुत्र सम्राट् बनेंगे, बैंको !
बैंको : तुम भी सम्राट् होगे ।
मैकबेथ : और काउडोर का थेन भी ? यही कहा था न उन्होंने ?
बैंको : बस, ठीक वही बात, वे ही शब्द । लेकिन ये कौन आ रहे हैं यहाँ ?
[रौस तथा ऐंगस का प्रवेश]
रौस : सम्राट् अपार हर्ष के साथ मैकबेथ का स्वागत करते हैं । तुम्हारी विजय की सूचना पाकर जब उन्हें यह भी पता लगा कि विद्रोहियों को कुचलने में तुमने अपनी जान तक की बाजी लगा दी थी, तो उनका हृदय इस तरह फूल उठा है मानो आश्चर्य और तुम्हारी वीरता की प्रशंसा की दो लहरें एक के ऊपर एक उठ रही हों । इसी से उनका हृदय पूरी तरह भर गया है कि मुँह से शब्द तक कहने को नहीं निकल रहे हैं ।
उसी दिन युद्ध के अन्य समाचार सुनते हुए उन्हें पता लगा कि नॉर्वे की सेना का सामना तुम इस अपूर्व वीरता के साथ कर रहे थे कि तुम्हारी तलवार से कट-कटकर जो सैनिक गिरते थे, मौत एक डरावनी-सी छाया उनके चेहरों पर डाल देती थी और वे सदा के लिए रणभूमि में सो जाते थे । उन्हें देख कर भी तुम्हारा हृदय तनिक भी डर से नहीं काँपता था । एक के बाद एक दूत आते थे और प्रत्येक तुम्हारी देश की रक्षा में दिखाई गई वीरता की सम्राट् के सामने अनेक प्रशंसाएँ करता था ।
ऐंगस : तुम्हारे स्वामी सम्राट् ने हमें इसीलिए भेजा कि हम उनकी ओर से तुम्हें धन्यवाद दें । उन्होंने हमसे तुरन्त तुम्हें उनके पास ले चलने के लिए आज्ञा दी है । उन्होंने तो हमारे हाथ पुरस्कार भी नहीं भेजा है ।
रौस : और तुम्हें और भी अधिक सम्मान से विभूषित करने के लिए उतावले होकर उन्होंने मुझे आज्ञा दी है कि मैं तुम्हें काउडोर का थेन कहकर पुकारूँ । इसलिए ओ, श्रेष्ठ थेन ! तुम्हारा स्वागत है ! अब से यह सम्मान और पद तुम्हारा है ।
बैंको : (स्वगत) क्या ? क्या जो कुछ शैतान कह रहा है वह सच है ?
मैकबेथ : लेकिन यह कैसी बात ! काउडोर के थेन तो अभी जीवित हैं,फिर क्यों इन माँगे हुए वस्त्रों को मेरे ऊपर लादकर मुझे सम्मानित करना चाहते हो ।
ऐंगस : अवश्य, जो था, वह अभी तक भी जीवित है, पर उसे मृत्यु-दण्ड सुनाया जा चुका है और वह इस पृथ्वी पर जीवित नहीं रह सकता । मैं नहीं जानता कि वह नॉर्वे के सम्राट् से मिल गया था या गुप्त रूप से उसने विद्रोहियों की सहायता की थी । और इस तरह गद्दारी करके अपने देश की बरबादी के लिए षड्यंत्र रचा था, लेकिन अब उसने अपने सारे अपराध को स्वीकार कर लिया है और यह पूरी तरह सिद्ध भी हो चुका है, इसलिए उसकी मौत की घड़ियाँ निकट आ गई हैं ।
मैकबेथ (स्वगत) ग्लेमिस, और काउडोर का थेन भी । ठीक है । पर सबसे बड़ी भविष्यवाणी तो अभी अधूरी ही है । (रौस और ऐंगस से) आपने जो यहाँ तक आने का कष्ट किया उसके लिए आपको धन्यवाद है ।
(बैंको से) बैंको ! क्या तुम यह आशा नहीं करते कि तुम्हारे पुत्र सम्राट् होंगे, क्योंकि जिन्होंने भविष्यवाणी करके मुझे काउडोर का थेन बनाया है उन्होंने उनके विषय में भी कम बात नहीं कही ?
बैंको : तुम उसपर विश्वास करते हो ना ? फिर तो काउडोर के थेन बनने के बाद सम्राट् बनने की लालसा तुम्हारे हृदय में मचल रही होगी ।…लेकिन अजीब-सी बात है । नहीं, प्राय: ऐसा होता है कि शैतान हमारे नुकसान के लिए अपने दूत भेजता है और वे यहाँ आकर ऐसी-ऐसी सच लगने वाली बातें कहते हैं कि हम उन छोटी-छोटी बातों को सच समझकर मान लेते हैं । फिर परिणाम होता है कि वही बातें हमारे जीवन के साथ धोखा करती हैं । साथियो ! मैं आपसे कुछ कहना चाहता हूँ ।
मैकबेथ : (स्वगत) इस महान नाटक की शुरू की घटनाओं की तरह दो
भविष्यवाणियाँ तो पूरी हो गईं ।
(रौस तथा ऐंगस से) भद्र पुरुषो ! मैं आपको धन्यवाद देता हूँ ।
(स्वगत) इन डायनों की लालच-भरी ये बातें क्या पूरी तरह बुरी हो सकती हैं ? नहीं । पर अच्छी भी कैसे हो सकती हैं ये ? यदि बुरी हैं तो इस तरह सच्ची होकर इन्होंने मुझे ये सफलता क्यों दी ? काउडोर का थेन भी मैं हो गया हूँ । यदि अच्छी हैं तो उनके दिए गए उस लालच का शिकार मैं क्यों बनता हूँ, जिसकी भयावनी कल्पना-मात्र से ही मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं और हृदय में अजीब तरह से धड़कन और कंपकंपी मचती है ? डरावनी कल्पनाओं से तो सामने रहने वाले भय कम डराते हैं । हत्या की बात मेरे मस्तिष्क में एक अजीब सपने की तरह लगती है, पर इसने मुझे इतना विचलित कर दिया है कि यह बात सपने जैसी लगते हुए भी मुझे कुछ विश्वास होता है कि जो कुछ कोरा सपना है और एक उड़ती हुई कल्पना की तरह है उसके सिवाय वास्तविक कुछ भी नहीं है ।
बैंको : वह देखो, मैकबेथ किस तरह किसी गम्भीर विचार में डूब रहा है ।
मैकबेथ : (स्वगत) यदि भाग्य में लिखा है कि मैं सम्राट् हूँगा तो क्या बिना कोई प्रयत्न किए नहीं हो जाऊँगा ?
बैंको : जो कुछ भी ये नये पद और सम्मान उसे प्राप्त हुए हैं वे अपरिचित और अजीब तरह के वस्त्रों की तरह हैं जो उसके शरीर में पूरी तरह आ नहीं रहे हैं । पर खैर, अभ्यास करते-करते अवश्य एक दिन वह इनका आदी हो जाएगा ।
मैकबेथ : (स्वगत) कुछ भी हो, एक न एक दिन वह नियत समय अवश्य आएगा । उस बीच में जो भी कठिन से कठिन दिन हैं वे भी किसी तरह निकल ही जाएँगे ।
बैंको : श्रेष्ठ मैकबेथ ! हम इसी प्रतीक्षा में यहाँ खड़े हुए हैं कि तुम अवकाश निकालकर अब हमारे सम्राट् के पास चलो ।
मैकबेथ : ओह, क्षमा करें मुझे ! मेरा यह जड़ मस्तिष्क कुछ भूली हुई बातों को याद करते-करते खो-सा गया था ।
ओ मेरे, मेहरबान साथियो ! आपकी छोटी से भी छोटी सेवा मेरे मस्तिष्क में इस तरह अंकित है जैसे किसी पुस्तक में । मैं प्रति-दिन उसके पृष्ठ उलटकर उन्हें पढ़ता हूँ ।
अच्छा चलो, अब सम्राट् के पास चलें ।
(बैंको से) जो कुछ भी घटना हमारे साथ घटी है उस पर और गहराई से सोचना, बैंको ! इस बीच इतनी गहराई से सोच लेने के पश्चात किसी अधिक अवकाश के समय हम एक साथ बैठेंगे और अपनी-अपनी बात एक-दूसरे से कहेंगे ।
बैंको : बड़ी खुशी के साथ ।
मैकबेथ : तब तक के लिए इतना ही काफी है–अच्छा, आओ मित्रो, चलें ।
(प्रस्थान)
Macbeth ki kahani in hindi.
(Scene 4) दृश्य 4
[फौरेस; राजमहल में एक कमरा]
[बाजे बजते हैं । डंकन, मैलकॉम, डोनलबेन और लैनोक्स का अनुचरों के साथ प्रवेश]
डंकन : क्या काउडोर को मृत्यु-दण्ड मिल चुका ? वे व्यक्ति जिनके हाथों यह काम सौंपा गया था, अभी तक लौटकर आये या नहीं ?
मैलकॉम : वे अभी तक लौटकर नहीं आए हैं, मेरे स्वामी ! लेकिन मुझे एक व्यक्ति ने बताया है कि उसको मृत्यु-दण्ड मिल चुका है, क्योंकि उस व्यक्ति ने उसे अपनी आखिरी श्वास तोड़ते हुए देखा था । वह कह रहा था कि काउडोर ने खुले रूप में अपने अपराधों को मान लिया था और आपसे क्षमा माँगते हुए उसने अपने किए हुए कार्यों पर घोर पश्चात्ताप भी किया था ।
जीवन में कभी भी ऐसे सुन्दर विचार उसके हृदय में नहीं फूटे जैसे उसके अनुरूप होने चाहिए थे, पर अन्तिम क्षणों में वह इतना अच्छा हो गया, मेरे स्वामी ! उसने मृत्यु को इस तरह गले लगा लिया मानो मृत्यु देवी से मिलने की सारी कला उसे आती थी । मैं क्या कहूँ, मेरे स्वामी ! अपने प्यारे से इस जीवन को उसने इस तरह त्याग दिया मानो कि यह कोई तुच्छ वस्तु हो जिस पर उसको विशेष ध्यान देने की आवश्यकता नहीं थी ।
डंकन : इस पूरे संसार में ऐसी कोई कला नहीं है जिससे मनुष्य के अन्दर के सारे भाव उसका चेहरा देखकर मालूम हो सकें । कैसा योग्य और सज्जन था वह काउडोर ! हमारा उसके ऊपर अटूट विश्वास था ।
[मैकबेथ, बैंको, रौस तथा ऐंगस का प्रवेश]
ओ हमारे सर्वश्रेष्ठ भाई ! हम बड़े कृतघ्न हैं और वही पाप अब भी बोझ बनकर हमारे ऊपर चढ़ा हुआ है । अपने वीरतापूर्ण कार्य से तुम इतने ऊँचे उठ गए हो कि किसी भी पुरस्कार के शीघ्रगामी पंख तुम तक नहीं पहुँच सकते ।
अच्छा होता, तुम इतना गौरवशाली काम न करके कुछ कम के अधिकारी होते, जिससे हम इस योग्य तो हो पाते कि तुम्हें धन्यवाद दे सकते और तुम्हारे सम्मान के अनुकूल तुम्हें पुरस्कृत कर पाते । लेकिन अब क्या ! अब तो हमारे पास यही करने के लिए है कि कितना भी देकर हम तुम्हारी सेवा और त्याग के ऋण से उऋण नहीं हो सकते ।
मैकबेथ : यह सब कुछ करना तो मेरा कर्त्तव्य और स्वामिभक्ति है, महाराज ! और इसी कारण मैं अपने-आपको, आपके कहने से पहले ही पुरस्कृत समझता हूँ । हे स्वामी ! हमारी सेवाओं को स्वीकार करना आपका काम है । आपके तथा देश के प्रति हमारे कर्तव्य ऐसे ही हैं, माँ-बाप के प्रति, बच्चों के और स्वामियों के प्रति सेवकों के जैसे होते हैं । देश की रक्षा के लिए और आपके प्रेम तथा सम्मान के लिए जो कुछ भी हम कर रहे हैं, क्या वह हमारा कर्तव्य नहीं, महाराज ?
डंकन : स्वागत है तुम्हारा, मैकबेथ ! हमने तुम जैसे पौधे को लगाया है और अब अपनी सारी शक्ति लगाकर भी हम इसे फलता-फूलता देखना चाहते हैं ।
ओ सुहृद, बैंको ! तुम भी कम प्रशंसा के अधिकारी नहीं हो । तुम्हारी सेवाएँ भी अमूल्य हैं । आओ वीर ! अपनी बाँहों में भर कर तुम्हें हृदय से लगा लें ।
बैंको : हे महाराज ! अगर मैंने भी एक पौधे के रूप में आपके हृदय में स्थान पाया है तो इसके सारे फल-फूल भी मेरी ओर से आपको ही समर्पित हैं ।
डंकन : आह ! कितना आनन्द है ! हमारा हृदय इस असीम हर्ष से फूला नहीं समा रहा है । सुख के आँसू उमड़कर इसे अपने बीच छिपाना चाहते हैं । हमारे पुत्र, सम्बन्धी, थेन तथा सभी निकटतम मित्र यह जानते हैं कि हम अब साम्राज्य का उत्तरदायित्व अपने ज्येष्ठ पुत्र मैलकॉम को सौंपना चाहते हैं । अब के बाद हम उसे कम्बरलैण्ड का राजकुमार कहकर पुकारेंगे ।
पर हाँ, हम केवल उसी को यह सम्मान नहीं देंगे बल्कि उन सभी को हम उचित सम्मान से विभूषित करना चाहते हैं जिनके ऊपर यश और गौरव तारों की तरह जगमगाता है । चलो, यहाँ से ‘इनवर्नेस’ को चलें । वहाँ हम तुम्हारे साथ और भी निकट के सूत्र में बँध जाएँगे ।
मैकबेथ : हे स्वामी ! जानते हैं ? वह आराम का समय भी बड़ी कठिनाई से बीतता है जो आपकी सेवा में काम नहीं आ सकता । मैं चाहता हूँ कि स्वयं
आपके स्वागत के लिए पहले आगे चला जाऊँ और आपके शुभागमन की सूचना देकर अपनी स्त्री को अत्यधिक प्रसन्न कर दूँ । अत: कृपा करके मुझे जाने की आज्ञा दीजिए ।
डंकन : मेरे श्रेष्ठ काउडोर !
मैकबेथ : (स्वगत) कम्बरलैण्ड का राजकुमार ? संभल जाओ मैकबेथ ! यह वह सीढ़ी है जिससे या तो तू नीचे गिर जाएगा या इसे छलाँग मारकर पार कर जाएगा । तेरे पथ में यही एक बाधा है । सितारो ! छिपा लो अपनी इस जगमगाती ज्योति को । मेरी इन काली और पाप से भरी गहरी लालसाओं को अपने इस प्रकाश में मत प्रकट होने दो । जब मेरे हाथों से काम पूरा हो जाए तब चाहे मेरी दोनों आँखों के चिराग सदा के लिए बुझ जाएँ । हाँ, ये बुझ ही जाने चाहिए, क्योंकि इस काम के पूरा होने पर ये आँखें भय के मारे इसे देख नहीं पाएँगी ।
[जाता है]
डंकन : सच है, श्रेष्ठ बैंको ! वह इतना ही शूरवीर है और उसकी प्रशंसाएँ सुनते-सुनते हमें ऐसा लगता है जैसे हम अपना, स्वादिष्ट-भोजन कर रहे हैं । उसी से हमारा पेट भरता है । चलो, उसके पीछे चलें जो इस तरह उत्सुक होकर हमारा स्वागत करने के लिए पहले ही चला गया है । मेरी दृष्टि में उसके समान कोई भी मेरा सम्बन्धी नहीं आता ।
[बाजे बजते हैं; प्रस्थान]
Macbeth in hindi drama.
(Scene 5)दृश्य 5
[इनवर्नेस, मैकबेथ का महल]
[लेडी मैकबेथ का एक पत्र पढ़ते हुए प्रवेश]
लेडी मैकबेथ : “जिस दिन मुझे विजय प्राप्त हुई थी उसी दिन वे मुझे मिली थीं और यह मुझे पूरी तरह पता लग गया है कि पृथ्वी पर रहने वाले प्राणियों से कहीं अधिक वे जानती हैं । मैं कुछ और आगे पूछने के लिए उत्सुक हुआ उसी समय वे न जाने कहाँ हवा में विलीन हो गईं ।
इससे मैं आश्चर्य में डूबा हुआ वहीं खड़ा रह गया, उसी बीच सम्राट् के भेजे दूत वहाँ आए और उन सबने मुझे ‘काउडोर का थेन’ पुकार मेरा अभिनन्दन किया । ठीक उसी पद से, जिससे उन डायन बहिनों ने पहले मेरा स्वागत किया था । फिर यह कहकर कि 'सम्राट् बनेगा, उसका स्वागत है' उन्होंने भविष्यवाणी की थी । ओ मेरे सुख और ऐश्वर्य की सर्वप्रिय सहभागिनी ! मैंने सबसे पहले यह अच्छा समझा कि तुम्हें इस बात से अवगत करा दूँ, जिससे तुम मेरे आने वाले
ऐश्वर्य और गौरव से अपरिचित न रह जाओ और मेरे साथ अपनी प्रसन्नता का उचित भाग पा सको । इस बात को अपने हृदय में रखना । अच्छा, अलविदा !”
(स्वगत) ग्लेमिस तो तुम पहले ही हो और अब काउडोर का थेन बनाकर तुम्हारा सम्मान किया गया है । इसके अलावा आगे की भी भविष्यवाणी अवश्य पूरी होगी । पर फिर भी मुझे एक बात का डर है कि तुम्हारा स्वभाव इतना सरल और उदार है कि यह तुम्हें अपने गौरवशाली भाग्य के निकट शीघ्रता से पहुँचने नहीं देगा । तुम महान होना चाहते हो ।
महत्वाकांक्षा तुम्हारी रग-रग में समाई हुई है, पर बिना किसी तरह का पाप किए उसे प्राप्त करना चाहते हो । जिसको पाने के लिए तुम इतने लालायित हो उसे अन्त तक पवित्र रहकर ही प्राप्त करना चाहते हो । किसी तरह का झूठ भी नहीं बोलना चाहते न ? और आनन्द भोगना चाहते हो उस वस्तु का, जो धोखे और बेईमानी से प्राप्त हो सकती है।
ओ ग्लेमिस ! तुम जिस ऐश्वर्य और गौरव के लिए लालायित हो वही तुमसे पुकार-पुकारकर कह रहे हैं कि-‘यदि तुम हमें प्राप्त करना चाहते हो तो धृष्टता को तुम्हें गले लगाना ही पड़ेगा ।’ और कैसा आश्चर्य है कि तुम इसे न करने के लिए अधिक इच्छुक हो, क्योंकि ऐसा करते हुए डर से तुम्हारा हृदय काँपता है न ? शीघ्र यहाँ चले आओ, जिससे मेरे हृदय में जितना भी साहस है वह सब तुम्हारे कानों में होकर हृदय में भर दूँ और अपनी वीरता-भरी वाणी से उस रोड़े को हटाकर नष्ट कर दूँ जो तुम्हारे और राजमुकुट के बीच अड़ा हुआ है, जिससे भाग्य और दैवी शक्तियों के द्वारा तुम पहले विभूषित किए जा चुके हो ।
[एक दूत का प्रवेश]
क्या समाचार लाए हो, दूत ?
दूत : देवी ! आज रात को सम्राट् यहाँ पधार रहे हैं ।
लेडी मैकबेथ : तुम पर कुछ पागलपन-सा चढ़ा हुआ मालूम होता है, तभी ऐसी बातें कर रहे हो । क्या तुम्हारे स्वामी सम्राट् के साथ नहीं हैं? नहीं ! यदि ऐसी बात होती तो वे मुझे स्वागत की व्यवस्था करने के सम्बन्ध में अवश्य सूचित करते ।
दूत : जैसा आप सोचें, देवी ! पर जो कुछ मैं कह रहा हूँ, वह सच है । हमारे थेन आ रहे हैं । हममें से एक व्यक्ति उनसे भी अधिक तीव्र गति से भेजा गया था, जो किसी भी तरह भाग-दौड़कर मरता-मरता पहले आपको यह सन्देश देने आया है ।
लेडी मैकबेथ : दूत का स्वागत करो । वह अच्छा सन्देश लेकर आया है । (स्वगत) वह कौवा भी उस अभागे डंकन के मेरे महल में आने की सूचना देता हुआ स्वयं दु:ख से आहें भर रहा है । आओ, हत्या के इरादों पर मँडराने वाली खून की प्यासी पिशाचिनियो ! आओ, और नष्ट कर दो मेरे स्त्रियोचित अबला स्वभाव को । मेरी रग-रग को भयानक क्रूरता से पूरी तरह भर दो ।
खून को पूरी तरह गाढ़ा बना दो और उन सभी मार्गों को बन्द कर दी जहाँ से दया और पश्चात्ताप के भाव प्रवेश कर सकें, ताकि मेरी आत्मा की कोई भी पुकार मुझे अपने काम से विचलित न कर सके और न मेरे इरादों के पूरा होने के बीच कोई बाधा डाल सके ।
ओ खून के साथ खेलने वाली डाकिनियो ! आओ, जहाँ कहीं भी तुम अपने अदृश्य रूप में प्रकृति के साथ कोई धृष्टता करने के लिए प्रतीक्षा कर रही हो, वहाँ से आओ और मेरे स्तनों के दूध तक को ज़हर की तरह कड़वा बना दो ।
आओ, ओ घोर काली रात ! आओ, और यमलोक की ज़हरीली काली धूमराशि की तरह चारों ओर से इस पृथ्वी को इस तरह ढँक लो, जिससे मेरा यह पैना खंजर भी अपने किए घाव को न देख सके और न इस काले परदे में होकर स्वर्गभूमि से देवता यह देखकर पुकार सकें–ठहरो ! ठहरो !
[मैकबेथ का प्रवेश]
महान् ग्लेमिस ! ओ श्रेष्ठ थेन ! इन दोनों से भी ऊँचे और महान् पद से, जो भविष्य में अवश्य आपको मिलेगा, मैं आपका अभिनन्दन करती हूँ । आपके पत्रों ने मुझे बहुत दूर तक बता दिया है और अब मैं अनजान नहीं हूँ, इसीलिए अभी से मैं भविष्य के ऐश्वर्य और गौरव का अनुभव कर रही हूँ ।
मैकबेथ : ओ, मेरी प्राणप्रिये ! मालूम है, सम्राट् डंकन आज रात को यहाँ पधार रहे हैं ?
लेडी मैकबेथ : फिर वापस कब जाएँगे यहाँ से ?
मैकबेथ : उनका विचार तो कल ही चले जाने का है ।
लेडी मैकबेथ : कल ? कभी नहीं ! क्या सूर्य की किरणें उस कल को देख पाएँगी जबकि वह यहाँ से वापस चला जाए ? नहीं, मेरे थेन ! आपका चेहरा देखकर तो ऐसा लगता है मानो यह कोई ऐसी किताब हो जहाँ से मनुष्य अजीब तरह की बातें पढ़ सके । अगर समय को धोखा देना है तो अपना यह चेहरा समय के अनुरूप बनाना ही होगा । अपनी आँखों के हाव-भाव से,
हाथों से, बोलचाल से, हर तरह से सम्राट् को सम्मान दिखाओ और एक मासूम फूल की तरह बन जाओ, पर सावधान ! उसके नीचे छिपे हुए ज़हरीले साँप की तरह ! वह डंकन, जो आज यहाँ आ रहा है, हर प्रकार से उसकी आवभगत करो, और उचित रीति से सम्मान दिखाओ । बाकी इस रात के महान् षड्यन्त्र का भार मेरे ऊपर छोड़ दो, जिससे हम वह दिन देख सकें जब हम इस महान् साम्राज्य के एकमात्र स्वामी हों ।
मैकबेथ : इस विषय पर फिर बातें करेंगे ।
लेडी मैकबेथ : सिर्फ अपने चेहरे को खिलता हुआ बनाए रखना, क्योंकि किसी तरह का भी परिवर्तन खतरे से खाली नहीं । बस, बाकी सब मेरे ऊपर छोड़ दो । (प्रस्थान)
William Shakespeare Drama in Hindi (Scene 6) दृश्य 6
[वही स्थान; महल के सामने जगमगाता प्रकाश, शहनाइयाँ बजती हैं]
[डंकन, मैलकॉम, डोनलबेन, बैंको, लैनोक्स, मैकडफ, रौस और ऐंगस का अन्य सेवकों के साथ प्रवेश]
डंकन : यह महल कैसे सुन्दर स्थान पर है ! यहाँ की मन्द और सुगन्धित वायु चित्त को कैसा आनन्द दे रही है ।
बैंको : मन्दिरों में अपना घर बनाने की शौकीन और गर्मी की मेहमान यह मार्टिल चिड़िया अपने प्रिय घोंसले से इसी बात का समर्थन करती है कि आकाश से अत्यन्त ही सुगन्धित हवा यहाँ बह रही है । आँगन की छत, दीवार थामने वाले खम्बे ऐसा कोई भी स्थान नहीं है जहाँ यह घोंसला न बनाती हो । उसी में यह बच्चों को खिलाती और पिलाती है ! मैंने यह देखा है, मेरे स्वामी ! कि जहाँ यह अधिकतर रहती है और अपने बच्चों को पालती है वहाँ की वायु अवश्य सुगन्धित होती है !
[लेडी मैकबेथ का प्रवेश]
डंकन : देखो, देखो, हमारी मेहमाननवाज़, श्रेष्ठ महिला ! कभी-कभी हमारे मित्र और सम्बन्धी जो प्रेम और सम्मान हमारे प्रति दिखाते हैं, उससे हम एक संकोच में पड़ जाते हैं, पर फिर भी प्रेम मान कर हम इसका आदर करते हैं । इसलिए हम आपसे यह कहना चाहते हैं कि जो भी कष्ट हमने आपको दिया है उसका ख्याल न करके, आप ईश्वर से हमारे लिए शुभकामना करें और उस कष्ट के लिए हमें धन्यवाद का पात्र समझें ।
लेडी मैकबेथ : सम्राट् ! आपके प्रति की गईं हमारी सभी सेवाएँ और ये ही नहीं बल्कि इनसे दुगुनी और चौगुनी तक भी, आपने जो असीम उपकार हमारे प्रति किए हैं, उनका किसी भी रूप में बदला नहीं चुका सकतीं । आपने जैसी उदारता पहले दिखाई थी और जो भी सम्मान अब देकर हमें सम्मानित किया है, उसके लिए हम हमेशा सच्चे फकीरों की तरह आपकी भलाई के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं ।
डंकन : पर वह हमारा काउडोर का थेन कहाँ छिपा हुआ है । हम बड़ी ही तेज़ी से उसके पीछे-पीछे चले और हर तरह चाहा कि उससे आगे निकल जाएँ पर वह तो वास्तव में एक अच्छा सवार है । उसके पैर की एड़ी से भी तेज़ उसका महान् प्रेम ही उसे हमसे भी पहले घर ले आया है ।
हे सुन्दर और उदार हृदय वाली, देवी ! हम आज रात को आपके मेहमान बनकर रहेंगे ।
लेडी मैकबेथ : हमारे स्वामी ! हम तो आपके ऐसे सेवक हैं जिनका तन, मन, धन सभी कुछ आपका ही है । हमारी सारी सम्पत्ति आपकी कृपा का ही तो फल है । उसका हिसाब भी तो अभी आपको चुकाना होगा, महाराज ?
डंकन : हमें अपना हाथ दो, देवी ! और अपने पति के पास ले चलो । हम उन्हें अपने हृदय से अधिक प्रेम करते हैं और ऐसा ही सदा करते रहेंगे : अच्छा अब चलो देवी !
(प्रस्थान)
Macbeth ki kahani in hindi.
(Scene 7) दृश्य 7
[मैकबेथ का महल; जगमगाता प्रकाश; शहनाइयाँ बजती हैं]
(एक प्रतिहार, भोजनदोषज्ञ और सेवक तश्तरियाँ तथा अन्य वस्तुएँ लेकर आते हैं और रंगमच से गुज़रते हैं । फिर मैकबेथ का प्रवेश)
मैकबेथ : (स्वगत) यदि यह काम मुझे करना है तो क्यों न मैं इसे शीघ से शीघ्र कर डालूँ । यदि खून में हाथ धोने से वे सारे आशंका-भरे परिणाम दूर हो सकें और हमें सफलता मिल सके ! समय के अथाह समुद्र के बीच मौत का पतला-सा किनारा है, यदि हमारे यह कदम उठाने से इस समस्या का यही आरम्भ और अन्त हो तो हम अपने भविष्य के लिए अपने जीवन का भी खतरा सिर पर लेंगे…पर, फिर ऐसे पापों का दण्ड भी तो हमें यहीं भोगना पड़ेगा । हम दूसरों से कहते हैं कि हमारे लिए खून कर दो । पर जब उनके हाथ किसी के खून से रंग जाते हैं, तो उसका कठोर दण्ड हमारे ही सिर पर
आकर पड़ता है । ईश्वर के निष्पक्ष न्याय में मैंने कभी-कभी यह भी देखा है कि जो ज़हर का प्याला दूसरों के लिए भरकर तैयार करते हैं वह हमारे ही ओठों के नीचे आ लगता है । नहीं ! मेरे सम्राट् की दूने विश्वास के साथ यहाँ रक्षा होनी चाहिए, क्योंकि एक तो उनका सम्बन्धी दूसरे उनकी प्रजा होने के नाते यह मेरा कर्तव्य है । पर्याप्त कारण है ये इस घृणित हत्या के काम के विरुद्ध ।
आज वे मेरे अतिथि हैं, उस नाते क्या उनका खून करने के लिए मुझे अपने हाथों में कटार लेनी चाहिए ? नहीं ! मुझे तो उन सभी रास्तों तक को बन्द कर देना चाहिए जहाँ उनके जीवन का हत्यारा घुस सके । और इस सबके अलावा यह डंकन, अपने व्यवहार में इतने सीधे और सच्चे हैं कि उनकी हत्या के डरावने समय में, उनके गुण ही देवताओं के नक्कारों की तरह ज़ोर से पुकार उठेंगे-ठहरो ! नहीं ! नहीं ! ! …और नंगे नवजात शिशुओं की तरह संसार के हृदय में बसी दया, बहती हवा में रो उठेगी, और आकाश के देवता वायु रूपी अपने अदृश्य वाहनों पर चढ़कर इस घृणित इरादे की बात पुकार-पुकारकर सबको सुना देंगे, जिसे जो भी सुनेगा उसी का हृदय फट जाएगा और आँखों में इतने आँसू बहेंगे कि वायु का वेग भी उससे कम हो जाएगा ।
मेरी महत्वाकांक्षा के सिवाय, इस डंकन के जीवन से मुझे क्या आपत्ति है, जो मुझे इस घृणित इरादे की ओर खींचकर ले जाए ?
...पर कैसी बात है ! यह महत्वाकांक्षा ! क्या है यह ? क्या यह ठीक उस सवार की तरह नहीं, जो कभी-कभी अपना निशाना चूककर हारा हुआ-सा दूसरी ओर जा गिरता है !
[लेडी मैकबेथ का प्रवेश]
क्यों ? क्या समाचार है ?
लेडी मैकबेथ : उन्होंने करीब-करीब खाना खा लिया है । पर तुम वहाँ से आ क्यों गए ?
मैकबेथ : क्या वे मेरे बारे में कुछ पूछ रहे थे ?
लेडी मैकबेथ : हाँ ! क्या तुम नहीं जानते ?
मैकबेथ : अब हम इस इरादे की बात आगे नहीं बढ़ाएंगे । सोचो तो अभी-अभी सम्राट् ने मुझे इन उच्च पदों से सम्मानित किया है और फिर सभी लोगों के हृदय में मेरे प्रति कैसे-कैसे पवित्र विचार हैं ! उनका मैं खून नहीं करना चाहता, प्रिये ! उन्हें बचाए रखना ही चाहता हूँ ।
लेडी मैकबेथ : ठीक ही है । फिर यह बताओ कि क्या कुछ मतवाले होकर राजमुकुट की अभिलाषा कर रहे हो ? तुम्हारी यह आशा जो पहले पूरी तरह सो-सी गई थी, अब उठी भी तो इस तरह, डर के मारे पीली होकर ! कहाँ है इसमें वह स्वच्छन्दता जो कुछ समय पहले थी ? क्या अब से, जो मेरे प्रति भी तुम्हारा प्रेम है, उसको भी इसी तरह अस्थिर और बिना किसी आधार का मानूँ ?
क्या जिस वस्तु को प्राप्त करने की तुम्हारी इतनी लालसा है, उसके लिये कदम आगे बढ़ाने का साहस तुम्हारे अन्दर मर चुका है ? बताओ, मैं पूछती हूँ कि जिसको तुम अपने जीवन का ऐश्वर्य, महानता और गौरव कहते हो, उसे छोड़कर क्या एक कायर का-सा जीवन बिता लोगे ? बताओ, क्या उसी में तुम्हें सन्तोष मिलेगा ? ठीक है, तुम उसी बिल्ली की तरह हो जो पानी में पड़ी मछली को खाना तो चाहती है, पर अपने पैर उस पानी में भिगोना नहीं चाहती ।
मैकबेथ : बस, चुप हो जाओ, और अधिक नहीं, मैं प्रार्थना करता हूँ, बस ! कौन कहता है मैं कायर हूँ ? इस पृथ्वी पर रहने वाले एक पुरुष में जितना साहस होना चाहिए, वह प्रत्येक काम करने के लिए मेरी रगों में है । कौन है ऐसा जो मुझसे अधिक साहसपूर्ण कार्य कर सके !
लेडी मैकबेथ : तो फिर बताओ, जब तुमने मुझे इस षड्यन्त्र की बात बताई थी, उस समय कौन पशु तुम्हारे मस्तिष्क से बोल रहा था ? मैं कहती हूँ, तुम उसी समय एक पुरुष कहलाने के योग्य थे, जब तुमने यह षड्यन्त्र बनाया ही था, और अब इसे पूरा करके तो सचमुच एक वीर पुरुष कहलाने के सच्चे अधिकारी होंगे । क्या तुम भूल गए कि जब तुमने इस षड्यन्त्र की बात सोची थी, तब न तो अपने पास उनको पूरा करने का उचित अवसर था, और न ही उपयुक्त स्थान ?
फिर भी उन्हें पैदा करने का तुममें एक साहस था, लेकिन अब तो उचित अवसर और स्थान दोनों तुम्हारे सामने ही हैं, फिर जितनी सुविधा सामने है, उतनी ही कायरता तुम्हारे अन्दर बढ़ती जाती है । मैंने बच्चों को दूध पिलाया है और यह जानती हूँ कि जो बच्चा माँ की छाती से चिपककर दूध पीता है, वह उसे कितना प्यारा होता है ! फिर भी जैसी सौगन्ध खाकर तुमने अपना पक्का इरादा बनाया था, यदि मुझे अपना इरादा इस तरह पूरा करना पड़ता, तो जानते हो, मैं क्या तक कर डालती ? अपने मुस्कराते हुए मासूम बच्चे को भी छाती से हटाकर उसके टुकड़े-टुकड़े करने में तनिक भी न हिचकिचाती ।
मैकबेथ : लेकिन...लेकिन अगर हमारा यह षड्यन्त्र किसी तरह पूरा न हो सका तब…?
पूरा न हो सका ? हमसे ? अगर तुम अपने पूरे साहस से काम लो तो हम कभी असफल नहीं हो सकते । सुनो, जब यह डंकन सो जाए, और अपनी दिन-भर की यात्रा की थकान के कारण मुझे विश्वास है यह शीघ्र ही गहरी नींद सो जाएगा, तब मैं उसके शयनागार के दोनों अधिकारियों को शराब पिलाकर ऐसा कर दूँगी कि मस्तिष्क को काबू में रखने वाली, जो मनुष्य की स्मृति होती है,
वह शराब के नशे में धुएँ की तरह उड़ जाएगी और वे पूरी तरह अपनी बुद्धि खोकर पागल जैसे हो जाएँगे । तब वे उस नशे में चूर होकर सूअरों की तरह ऐसे सोए रहेंगे, मानो उनमें जान बची ही न हो । तब इस अकेले डंकन के साथ हम क्या नहीं कर सकते ? फिर नशे में चूर पड़े इन अधिकारियों के ऊपर डंकन के खून का अपराध लादना क्या कुछ मुश्किल होगा ?
मैकबेथ : ईश्वर करे तुम्हारी कोख से वीर पुरुष बनने वाले पुत्र ही पैदा हों, क्योंकि तुम्हारा इस तरह का निर्भीक स्वभाव उन्हीं के लिए उपयुक्त है ! ठीक है, अगर हम इन दोनों अधिकारियों के शरीर पर खून के दाग लगा दें और उन्हीं की कटारों को काम में लें तो क्या यह नहीं समझा जाएगा कि यह खून इन्होंने ही किया है ?
लेडी मैकबेथ : अवश्य, कौन इसे झूठ मानेगा और फिर खासकर जब हम उसकी मृत्यु पर खूब रोएंगे और इधर-उधर चिल्लाएंगे, पुकारेंगे ?
मैकबेथ : तो अब मैं पूरी तरह दृढ़ हूँ, और जितना भी साहस और पौरुष मेरी रगों में है, उसे इस खतरनाक काम में लगा दूँगा । जाओ और अपने इस सुन्दर चेहरे पर बनावटी हँसी लाकर संसार को धोखा दो । जानती हो ? कपट भरे हुए हृदय की बात कपट भरा हुआ चेहरा ही छिपा सकता है ।
(प्रस्थान)